आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के लिये आरबीएसके योजना बनी जीवनदायी- डॉ केशव
बाहर भेजने से पहले की गयी कोरोना जांच कार्यक्रम के तहत 38 बिमारियों के जांच की सुविधा
दरभंगा. आरबीएसके कार्यक्रम आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के बच्चों के उपचार के लिये जीवनदासी साबित हो रही है. जिला से दो बच्चों को चिन्हित कर मुफ्त सर्जरी के लिये बाहर भेजा जायेगा. इन बच्चो के जन्मजात हृदय में छेद है. बाल हृदय योजना के तहत भेजे जाने वाले बच्चों में बहेड़ी निवासी जब्बार के 11 वर्षीय पुत्री ओरजीना प्रवीण, कुशेश्वरस्थान निवासी लालटुन पासवान के 13 वर्षीय पुत्र जीतेन्द्र पासवान शामिल हैं. इनको नि:शुल्क उपचार के लिये मंगलवार को श्री सत्य साईं अस्पताल अहमदाबाद भेजा जायेगा. बाहर जाने से पूर्व आरबीएसके हॉस्पिटल कोऑर्डिनेटर डॉ केशव किशोर ने दोनो बच्चे सहित उनके माता- पिता का आरटी पीसीआर जांच कराया. कोरोना जांच के लिए लैब टेक्नीशियन अकील अहमद ने सभी का सैम्पल लिया. नमूने को जांच के लिए दरभंगा मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग मे भेज दिया गया. रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद सभी को अहमदाबाद भेजा जायेगा.
क्या है आरबीएसके योजना
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना, भारत सरकार की योजना है, जिसके तहत 18 और उससे कम उम्र के बच्चों को सरकार की ओर से मुफ्त इलाज और चेकअप करवाया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे बच्चे हैं जिनके परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है या वो चिकित्सा सेवा की पहुंच से दूर हैं, ऐसे बच्चों के लिए ये योजना जीवनदायी साबित हो रही है. योजना के तहत जन्म के समय कोई रोग, बीमारी या चेकअप के दौरान बीमारी का पता चलने पर बच्चे को मुफ्त इलाज दिया जाता है. इसके अलावा स्कूलों में चेकअप और नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच की जाती है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से स्कूल, आशा कार्यकर्ता भी जुड़े होते हैं. आरबीएसके हॉस्पिटल कोऑर्डिनेटर डॉ केशव किशोर ने बताया कि केंद्र की बाल सुरक्षा स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना उन बच्चों के लिये है, जिनकी उम्र शून्य से 18 साल तक है.
38 बिमारियों की होती जांच
बता दें कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत आंगनबाडी़ व सरकारी स्कूलों में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है. इस कार्य के लिये सभी ब्लाक में दो टीम है. प्रत्येक टीम में दो चिकित्सक, एक एएनएम एवं एक फार्माशिष्ट होता है. वह अपने इलाके के आंगनबाड़ी व सरकारी स्कूलों में जाकर 18 वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं. उसका हैल्थ कार्ड बनाया जाता है. किसी तरह की बिमारी होने पर उसे निकट के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भेजा जाता है. वहां ठीक नहीं होने पर बच्चो को डीएमसीएच भेज दिया जाता है. बता दें कि इस कार्यक्रम के तहत बच्चों का 38 बिमारियों की जांच की जाती है.