बिहार के सशक्त एवं समर्पित राजनेता ललित नारायण मिश्र की दूरदर्शिता एवं विकास का मॉडल बहुत ही सफल रहा- प्रति कुलपति
कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में पुण्यतिथि पर ललित बाबू को विश्वविद्यालय परिवार द्वारा दी गई श्रद्धांजलि।
#MNN@24X7 दरभंगा। बिहार के लाल एवं विकास पुरुष ललित नारायण मिश्र के बताए रास्ते पर चलकर हम सबकी तरक्की के लिए कार्य करें। यह संदेश हमें विश्वविद्यालय परिसर स्थित उनकी मूर्ति अनवरत रूप से देती रहती है। हम जो भी काम करें, वह समाज तथा राष्ट्र के हित में होना चाहिए। ऐसी धारणा हमें सदा चेतना प्रदान करती है। ललित बाबू ने समाज में बहुत सारी उपलब्धियां दी। आज हम उनके आगे नतमस्तक होकर उनके कार्यों को याद करें, उनके बताए रास्ते पर चलें और उनसे प्रेरणा लेकर सबकी तरक्की के लिए कार्य करें।
उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने ललित नारायण मिश्र की पुण्यतिथि पर विश्वविद्यालय परिसर स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कही।
कुलपति ने कहा कि हम सब विश्वविद्यालय की तरक्की के लिए दिन- रात सोचे और कार्य करें, यही ललित बाबू के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आज हमें संकल्प लेना चाहिए कि विश्वविद्यालय निरंतर अपने गौरव को प्राप्त करता रहेगा, क्योंकि यह ललित बाबू जैसे महापुरुष के नाम से जुड़ा हुआ है।विश्वविद्यालय का जितना विकास होगा, उतना ही ललित बाबू का भी नाम लिया जाएगा।
प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार के सशक्त एवं समर्पित राजनेता ललित नारायण मिश्र की दूरदर्शिता एवं विकास का मॉडल बहुत ही सफल रहा। वे बिहार के विकास के लिए सदा तत्पर और समर्पित रहे। उन्होंने रेलवे की 36 योजनाओं के साथ ही लखनऊ से फारबिसगंज तक की सड़क आदि योजनाओं को पास करवाया। खासकर उन्होंने अपनी मातृभूमि मिथिला तथा मातृभाषा मैथिली के लिए काफी काम किया था। उनकी पहल से ही मैथिली साहित्य अकादमी की भारतीय भाषा सूची में शामिल हुई, जिसका लाभ यहां के छात्रों को आज मिल रहा है। मैथिली संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा में भी एक ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल है।
प्रति कुलपति ने कहा कि बिहार के विकास में अपने योगदान के लिए ललित बाबू सदा याद किए जाएंगे। यह काफी दुर्भाग्य रहा कि ऐसे राजनेता की 2 जनवरी, 1975 को समस्तीपुर की एक दुर्घटना के कारण 3 जनवरी को हमने उन्हें खो दिया। यदि वे आज हमारे बीच होते तो मिथिलांचल का और भी तेजी से विकास होता।
विश्वविद्यालय परिसर स्थित ललित बाबू की प्रतिमा के समक्ष आयोजित श्रद्धांजलि सभा में प्रो ए के बच्चन, प्रो शाहिद हसन, प्रो रमेश झा, प्रो राजेन्द्र साह, प्रो अशोक कुमार मेहता, प्रो विजय कुमार यादव, प्रो दमन झा, प्रो अजयनाथ झा, प्रो अरुण कुमार सिंह, प्रो शहनाज जमील, डा घनश्याम महतो, डा गजेन्द्र प्रसाद, डा आनंद प्रकाश गुप्ता, डा मुकेश कुमार निराला, डा मो ज्या हैदर, डा सोनी सिंह, डा संतोष कुमार, डा अयाज अहमद, डा मनोज कुमार, डा आर एन चौरसिया सहित अनेक शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मी तथा छात्र- छात्राएं उपस्थित थे, जिन्होंने ललित नारायण मिश्र की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
एनएसएस समन्वयक डा विनोद बैठा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन उप कुलसचिव प्रथम डा कामेश्वर पासवान ने किया।