#MNN@24X7 दिल्ली/दरभंगा, बहुद्देशीय हाई डैम निर्माण संघर्ष समिति बिहार राज्य के द्वारा जंतर मंतर दिल्ली पर डैम निर्माण अविलंब करने प्रारंभ करने के मांग को लेकर धरना दिया गया। संघर्ष समिति के राज्य संयोजक मिथिलेश झा की अध्यक्षता में इस मौके पर एक सभा आयोजित हुई ।
इस सभा को सीपीआई के महासचिव पूर्व सांसद डी राजा, सीपीआई के बिहार के सचिव एवं पूर्व विधायक रामनरेश पांडेय, राज्य सभा सांसद बिनय बिश्वम, भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव गुलजार सिंह गोरिया, अखिला भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष वेंकैया, अखिला भारतीय मिथिला संघ के महासचिव विद्यानंद ठाकुर, बिहार महिला समाज के महासचिव राजश्री किरण, सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य ओमप्रकाश नारायण, प्रमोद प्रभाकर, बिहार राज्य किसान सभा के अध्यक्ष रामकुमार झा , किसान नेता, रामकिशोर झा, लक्ष्मण चौधरी, राकेश कुमार पांडेय, दिल्ली ट्रेड यूनियन के सचिव बवन कुमार सिंह, एटक के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष विद्यासागर गिरी, पुनीत मुखिया सहित कई संगठन के पदाधिकारी हाई डैम निर्माण के समर्थन में धरना में भाग लिए।
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा जब तक कोसी, कमला एवं बागमती के उदगम स्थल पर बहुद्देशीय हाई डैम का निर्माण नही होगा बिहार की जनता को बाढ़ सुखाड़ बिजली संकट के समस्या से छुटकारा नही मिलेगा । बिहार के विकास के लिए डैम निर्माण अत्यावश्यक है । कृषि प्रधान देश राज्य होने के कारण कभी अत्यधिक पानी तो कभी अकाल से पूरा जनजीवन प्रभावित रहता है। बिहार में उद्योग व्यापार नही है । केंद्र सरकार के सौतेलापन व्यवहार के कारण बिहार की जनता लगातार अपमानित हो रही है ।
हाई डैम के निर्माण होने से सस्ती बिजली की सुविधा बढ़ेगी। उद्योग धंधा का विकास होगा । बिहार से आमलोगों का पलायन रुकेगा । वर्षा पर आधारित कृषि व्यवस्था समाप्त होगा । सुखाड़ से आम लोगो को निजात मिलेगा । सभी फसलों की बुआई एवं कटाई समय पर होगा।
वक्ताओं ने कहा पूर्व में पूर्व सांसद भोगेंद्र झा के अथक प्रयास संघर्ष से केंद्र सरकार विभिन्न बिंदुओं पर निर्णय के आधार पर नेपाल सरकार से वार्ता का निर्णय ली थी। परंतु बाद के दिनों में वर्तमान केंद्र सरकार के सिथिलता के कारण हाई डैम निर्माण के सभी निर्णयों को ठंडा बस्ता में रखा गया।
विभिन्न संगठनों के वक्ताओं ने बहुद्देशीय हाई डैम निर्माण संघर्ष समिति को इस आंदोलन को निर्णायक रूप में ले जाने तक सहयोग करने का आश्वासन दिया। धरना के बाद एक मांग पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा गया।