बिहार के बेरोजगार लोग भेड़-बकरी की तरह ट्रेन में लदकर रोजगार खोजने जाते हैं आज मोदी बिहार में फैक्ट्री लगाते तो बिहारी दूसरे राज्यों में क्यों जाते: प्रशांत किशोर*

#MNN@24X7 ओडिशा के बालेश्वर जिले में हुए दर्दनाक रेल हादसे की चर्चा हर तरफ है। इस हादसे के शिकार बिहार के मोतिहारी जिले के भी कुछ लोग हुए हैं, जो कि कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार थे। इनके अलावा रोजी-रोटी की तलाश में जा रहे पूर्वी चंपारण के रामगढ़वा प्रखंड के चिकनी गांव दो मजदूरों की भी इस हादसे में मौत हो गई है।

बिहार की जनता की इसी दुर्दशा के मुद्दे पर मुखर रहने वाले जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा कि आप लोगों ने अपने बच्चों को पेट काट-काट कर बड़ा किया, जैसे ही उनके 20-25 साल हुए वैसे ही यहां के जवान लड़कों को भेड़-बकरी की तरह ट्रेनों और बसों में लादकर मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों में भेज दिया जाता है। बिहार के लोगों ने 40 में से 39 सांसद मोदी के लिए जिताकर लाए पर क्या उन्होंने बिहार के विकास के लिए एक बैठक तक भी करना जरूरी समझा?

प्रशांत किशोर ने कोरोना की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से उपजी भयावह स्थिति का उदाहरण देते हुए कहा कि आप लोगों ने कोरोना के समय पर देखा कि जिन बिहार के मजदूरों को दूसरे राज्यों के लोगों ने मारकर भाग दिया था उन्हीं मजदूरों को ट्रेन से,बसों से और हवाई जहाज का टिकट देकर लॉकडाउन हटने के बाद वापस बुलाया गया। आप बिहार के लोगों ने कभी सोचा कि बिहार के मजदूरों को ही आखिर क्यों बुलाया गया? क्या तमिलनाडु, केरल और सूरत में मजदूर नहीं हैं? वहां भी मजदूर हैं लेकिन वहां के मजदूर 35 हजार रुपये महीना लेता है और बिहार का गरीब लड़का जाकर 12-15 हजार रुपये में काम कर रहा है। तो मोदी बिहार में फैक्टरी क्यों लगाएंगे? जब सस्ते रेट पर बिहार के मजदूर दूसरे राज्यों में मिल रहे हैं।