*’अंबेडकर के सपनों का भारत’ विषय पर डा शंभू शरण, रवि पटवा, डा राजीव, डा विकास, डा चौरसिया, डा कामेश्वर व विजय पासवान आदि ने रखे विचार*

*आधुनिक भारत के निर्माता डा अंबेडकर दलितों, वंचितों व शोषितों की आवाज- डा शंभू शरण*

*समाज के सभी लोगों को शिक्षित व जागरूक कर प्रबुद्ध भारत का निर्माण ही डा अंबेडकर का सपना- डा विकास*

*समानता पर आधारित समाज- निर्माण ही संघर्षशील एवं दूरदर्शी अंबेडकर का वास्तविक स्वप्न- डा राजीव*

*अपनी कथनी और करनी में समानता लाकर अंबेडकर के सपनों को करें साकार- डा चौरसिया*
अंबेडकर युवा केन्द्र, बाजितपुर- किलाघाट, दरभंगा तथा सी एम कॉलेज, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में द्विदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार सह आमसभा का समापन सी एम कॉलेज के सेमिनार हॉल में हुआ। सी एम कॉलेज के इग्नू समन्वयक डा आर एन चौरसिया की अध्यक्षता में आयोजित सेमिनार में उद्घाटन कर्ता के रूप में इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा के वरीय क्षेत्रीय निदेशक डा शंभू शरण सिंह एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में इग्नू के सहायक निदेशक डा राजीव कुमार, मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी रवि के पटवा, मुख्य वक्ता के रूप में मारवाड़ी महाविद्यालय, दरभंगा के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास सिंह, सम्मानित अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव (प्रथम) डा कामेश्वर पासवान व एनएसएस समन्वयक डा विनोद बैठा, दरभंगा अनुसूचित जाति व जनजाति के थाना प्रभारी रवि चौधरी, मध्य विद्यालय, बेला की पूर्व प्रधानाध्यापिका कुमारी सुरेश्वरी तथा अंबेडकर युवा केन्द्र, दरभंगा के अध्यक्ष विजय कुमार पासवान आदि ने विचार व्यक्त किए, जबकि बाल कृष्ण सिंह, गणेश पासवान, संजीव कुमार, पवन झा व उपेंद्र दास आदि ने सक्रिय योगदान किया।
अपने संबोधन में डा शंभू शरण सिंह ने कहा कि अंबेडकर न केवल संविधान शिल्पी थे, बल्कि आधुनिक भारत के निर्माता तथा दलितों, वंचितों व शोषितों की आवाज भी थे। उन्होंने अपने जीवन में उपेक्षा व संघर्ष की इंतिहा देखी थी। वे सिर्फ सपने देखने वाले नहीं, बल्कि उसे वास्तविक स्वरूप देना चाहते थे और शिक्षा के मार्फत पूरे समाज में वास्तविक परिवर्तन लाना चाहते थे।
डा राजीव कुमार ने कहा कि अंबेडकर का न केवल बचपन, बल्कि पूरा जीवन संघर्षमय रहा। दूरदर्शी अंबेडकर समानता पर आधारित समाज- निर्माण हेतु जीवन भर संघर्षरत रहे। वे अर्थशास्त्र, विधि व राजनीति विज्ञान में न केवल पीएचडी थे, बल्कि अनेक भाषाओं के जानकार, अनेक पुस्तकों के लेखक और समाजसुधारक भी थे।
डा विकास सिंह ने कहा कि समाज के सभी लोगों को शिक्षित और जागरूक कर प्रबुद्ध भारत का निर्माण ही डॉ अंबेडकर का सपना था। उन्होंने 1917 में असमानतावादी व जाति व्यवस्था को खत्म करने की प्रतिज्ञा ली थी। अंबेडकर ने महिला- शिक्षा के प्रसार तथा मातृत्व- अवकाश आदि सहित महिलाओं के उत्थान हेतु अनेक सराहनीय कार्य किया।
रवि के पटवा ने कहा कि अंबेडकर का सपना अखंड भारत का था। वे कश्मीर में धारा 370 तथा 35 A के बिल्कुल विरोधी थे। डा कामेश्वर पासवान ने अंबेडकर की संघर्षगाथा तथा उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि प्रत्येक सफल व्यक्ति अपने समाज के जरूरतमंद एक- दो छात्र- छात्रा को जीवन में सफल बनाएं तो अंबेडकर के सपनों के भारत का निर्माण स्वतः हो जायेगा।
कुमारी सुरेश्वरी ने अंबेडकर द्वारा महिलाओं के उत्थान हेतु किए गए कार्यों की जानकारी दी।
अध्यक्षीय संबोधन में डा आर एन चौरसिया ने विस्तार से अंबेडकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंबेडकर के सपनों के भारत निर्माण हेतु समाज के प्रबुद्ध वर्ग को आगे आना चाहिए। यदि हम अपनी कथनी और करनी में समानता रखें तो डा अंबेडकर के सपने निश्चय ही पूरे होंगे। उन्होंने शिक्षा- प्रसार, कार्य- प्रशिक्षण, जागरूकता अभियान, घरेलू उद्योग, स्वरोजगार, कल्याण छात्रावास निर्माण आदि के माध्यम से समाज के विकास में छूटे लोगों को मुख्यधारा में लाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। वहीं अतिथियों ने अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि कर अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया। अतिथियों का स्वागत विजय कुमार पासवान ने मोमेंटो व कलम प्रदान कर किया। आयुषी गुप्ता ने स्वागत गान प्रस्तुत किया, वहीं सुनील झा ने तबला वादन किया। विजय कुमार पासवान ने अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन किया, जबकि डा विनोद बैठा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।