जानकी जन्मभूमि के संरक्षण सहित पृथक मिथिला राज्य के गठन की मांग पर होगा विशेष जोर।

#MNN@24X7 दरभंगा, मैथिली अधिकार दिवस के रूप में दो दिवसीय 22वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन की शुरुआत 22 दिसंबर को बाबानगरी देवघर स्थित ‘नगर भवन’ में होगी। रविवार को आयोजित प्रेसवार्ता में अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के प्रधान महासचिव सह विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि पं विनोद दत्त द्वारी इस आयोजन के स्वागताध्यक्ष होंगे। उनके साथ मिलकर डा बैजू के नेतृत्व में सलाहकार समिति के अध्यक्ष सह मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा, शोभायात्रा प्रभारी प्रो विजयकांत झा एवं मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा आगामी 5 दिसंबर को कार्यक्रम स्थल सहित अन्य तैयारियों का मुआयना करने के लिए दो दिवसीय देवघर यात्रा पर निकलेंगे। इस यात्रा के दौरान स्थानीय आम एवं खास लोगों को इस सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए जन संपर्क अभियान भी चलाएंगे।

डॉ बैजू ने बताया कि सम्मेलन की शुरुआत 22 दिसम्बर की प्रातः बेला में पारंपरिक मैथिल परिधान में भव्य शोभायात्रा के साथ होगी। जबकि संध्या बेला में मंगलाचरण के साथ उद्घाटन समारोह आयोजित किया जाएगा। ‘मिथिला में उद्योग एवं पर्यटन की बदहाल स्थिति: कारण एवं निवारण ‘ विषयक विचार गोष्ठी, मिथिला रत्न सम्मान समारोह एवं विद्यापति संगीत मिथिलावासी एवं देवघर वासी दर्शकों के विशेष आकर्षण का केंद्र बनेंगे।

उन्होंने बताया कि लगातार दो दिनों तक देवघर में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में हजारों की संख्या में मिथिलावासी एवं प्रवासी मैथिल भाग लेंगे। सम्मेलन में विशेष रूप से जानकी जन्मभूमि के संरक्षण सहित पृथक मिथिला राज्य के गठन की मांग पर होगा विशेष जोर रहेगा।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि यह आयोजन अनेक रचनात्मक कीर्तिमान गढ़ेगा। इस आयोजन के बहाने मिथिला के लोगों को बाबा बैद्यनाथ के बीच के पौराणिक एवं आध्यात्मिक संबंधों को परखने में मदद मिलेगी। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ महेंद्र नारायण राम ने बताया कि दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान मणिकांत झा के संचालन में होने वाली संगोष्ठी में वासी एवं प्रवासी प्रतिभागी जहां अपने रचनात्मक विचार रखेंगे। वहीं, सोनी चौधरी के संयोजन में भव्य सर्व भाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस अवसर पर मिथिला के धार्मिक पर्यटन स्थलों पर केंद्रित ‘बैद्यनाथम्’ नाम से स्मारिका का प्रकाशन भी किया जाएगा। स्मारिका के संपादन का कार्य डॉ महेंद्र नारायण राम एवं प्रवीण कुमार झा की संयुक्त देखरेख में अंतिम चरण में है। उन्होंने बताया कि मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा एवं संस्थान के सचिव प्रो जीव कांत मिश्र के संयोजन में दोनों दिन विद्यापति संगीत एवं आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसमें कुंजबिहारी मिश्र, रामबाबू झा, भगवान बाबू झा, डॉ रामसेवक ठाकुर, केदारनाथ कुमर, सोनी चौधरी, डॉ सुषमा झा, डॉ ममता ठाकुर सहित मैथिली मंच के दर्जनों शीर्षस्थ कलाकार अपनी कला का जादू बिखेरेंगे। मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने बताया कि इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए मिथिला के विभिन्न इलाकों से जाने वाले प्रतिनिधि 21 दिसंबर की सुबह जयनगर-पुरी एक्सप्रेस एवं शाम में गंगासागर एक्सप्रेस ट्रेन से गंतव्य के लिए प्रस्थान करेंगे।

मणिकांत झा ने कहा कि यह आयोजन मिथिला और बाबा धाम के अंतर्संबंधों को जीवंत बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। महासचिव प्रो जीव कांत मिश्र ने कहा कि यह आयोजन मिथिलावासी के उत्कर्ष को एक नया स्वरूप प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रेसवार्ता में विनोद कुमार झा, प्रो विजय कांत झा, डॉ गणेश कांत झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

मोदी व नीतीश सरकार के प्रति आभार जताया*
मौके पर क्रेडिट आउट रीच कार्यक्रम में शुक्रवार को दरभंगा पहुंची केंद्रीय वित्त मंत्री डॉ निर्मला सीतारमण द्वारा हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से लोकार्पित मैथिली व संस्कृत भाषा में अनूदित भारतीय संविधान की प्रति मिथिला के विद्वानों को उपहार स्वरूप भेंट किए जाने के प्रति ध्वनि मत से केंद्र की मोदी सरकार के प्रति आभार जताया गया।

संस्थान के महासचिव डॉ बैजू एवं मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने विश्वास जताया कि वह दिन दूर नहीं जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल जनक, जानकी , विद्यापति, मंडन, अयाची, गौतम, कनाद, याज्ञवल्क्य, अष्टावक्र, दीनाभद्री, लोरिक, सल्हेश, भारती, भामती, गार्गी, मैत्रेयी आदि विद्वानों एवं विदूषियों की मातृभाषा मैथिली, केंद्र की मोदी सरकार में शास्त्रीय भाषा का दर्जा भी सहजता पूर्वक हासिल करेगी और देश-विदेश में इसकी प्रतिष्ठा स्थापित होगी। मोदी सरकार के इस कदम को करोड़ों मिथिलावासी एवं मैथिली भाषी के सम्मान का प्रतीक बताते हुए उन्होंने मैथिली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव भेजने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं राज्यसभा सांसद संजय झा के प्रति विशेष आभार जताया।

सम्मेलन के लिए कार्यसमिति गठित

22 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के लिए सर्वसम्मति से बनाई गई कार्य समिति के बारे में सम्मेलन के अध्यक्ष डा महेंद्र नारायण राम ने जानकारी दी कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री पद्मश्री डॉ सी पी ठाकुर को इसका मुख्य संरक्षक बनाया गया है। जबकि पं कमला कांत झा, रंजन कुमार झा, डा रामभरोस कापड़ि, अजय कुमार झा, शरद कुमार झा एवं मणिकांत दास को कार्यसमिति का संरक्षक मनोनीत किया गया है। उपाध्यक्ष पद के लिए डॉ बुचरू पासवान, अशोक झा, शंभुनाथ झा, अमरेन्द्र कुमार झा, विवेकानंद झा, प्रो अयोध्या नाथ झा, एवं प्रो विजय कांत झा के नामों को स्वीकृति दी गई है। प्रधान महासचिव पद के लिए डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू जबकि महासचिव के रूप में प्रो जीवकांत मिश्र को सर्वसम्मति से मनोनीत किया गया। कार्यकारिणी में सचिव के पद राम विनोद झा, वैद्य गणपति झा, संतोष कुमार झा के नाम शामिल किए गए हैं। जबकि 22 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में प्रवीण कुमार झा को सचिव के अतिरिक्त प्रभार के साथ मीडिया संयोजन की कमान एकबार फिर सौंपी गई है। प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई मीडिया संयोजन के कार्य में उनकी सहायता करेंगे। इस समिति में संयुक्त सचिव के पद पर क्रमशः आशीष चौधरी, मणिभूषण राजू, पुरुषोत्तम वत्स के नाम की घोषणा की गई। कार्यकारिणी में कोषाध्यक्ष की कमान इस बार रामकुमार यादव को दी गई है।
स्मारिका प्रभारी के रूप में सम्मेलन के अध्यक्ष डा महेंद्र नारायण राम एवं प्रवीण कुमार झा को संपादक मनोनीत किया गया। शोभा यात्रा प्रभारी के रूप में विनोद कुमार झा एवं विजय कांत झा को दायित्व दी गई है। जबकि कवि गोष्ठी प्रभारी सोनी चौधरी को बनाया गया है। विचार गोष्ठी प्रभारी के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा के नाम को ध्वनि मत से पारित किया गया। सांस्कृतिक प्रकोष्ठ का संयोजक एकबार फिर पं कमलाकांत झा को बनाया गया है।