दरभंगा। साल का सबसे पवित्र, रहमतों और बरकतों का महीना रमजान में रोजा,सेहरी,नमाज,जकात,फ़ितरा, तराबीह, कुरआन की तिलाबतो से सुबह व रात पूरे होते हैं।कहा जाता है कि इस बरकतों के महीने रमजान में शैतान कैद हो जाता है और नेकी के कई रास्ते खुल जाते हैं।

रमजान के महीने के अंतिम जुमे की नमाज को अलविदा की नमाज कहा जाता है। दरभंगा में शहर से लेकर गांव तक अलविदा की नमाज लोगों ने अदा किया। मस्जिदें पूरी तरह से इबादत करने वालों से भरी हुई थी।लहेरियासराय के बाकरगंज स्थित जामा मस्जिद बाकरगंज मे नमाजियों की अच्छी खासी भीड़ देखी गई।जगह की कमी होने पर लोगो ने सड़क किनारे भी चटाई बिछाकर अलबिदा की नमाज अदा की। इस बीच यातायात एवं लहेरियासराय थाना की पुलिस के जवानों को यातायात व्यवस्था के लिए लगाया गया था। नमाजियों को नमाज अदा करने में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से पूरी व्यवस्था की गयी थी।

अलविदा की नमाज का रमजान में काफी महत्व होता है इसे छोटी ईद के रूप में भी लोग मनाते हैं। इधर अधिवक्ता अंबर इमाम हाशमी ने नमाज अदा करने के बाद कहा कि हम लोगों ने नमाज ए अलविदा में अल्लाह से दुआ मांगी है कि हम सबको अच्छे राह पर चलाएं,नेकी की राह पर चलाए, देश में अमन और शांति बनाए रखें, सबको सलामत रखे, सब मिलजुल कर एक दूसरे के साथ प्यार से रहे, यही सब दुआ मांगी गई। रमजान हमसे दूर जा रहा है रमजान का महीना खत्म होने के करीब है लेकिन रमजान हमें यह सिखाता है कि नेकी और अच्छाई सच्चाई के रास्ते पर चलना भूखे प्यासे रहकर इबादत करना और इन्हीं बातों को आगे भी अपनी जिंदगी में जारी रखना चाहिए। एक दूसरे के लिए बेहतर सोचना और करना यही रमजान की खासियत है। जिसे अमल में लाया जाना चाहिए, यही रमजान की खासियत होती है।