मानवीय जीवन में संचार का योगदान अहम रहा है।आज संचार का ही जमाना है और इसके सहारे पढ़ाई, चिकित्सा, व्यापार, घर की निगरानी तक की जा रही हैं।मोबाइल की बदौलत हर आदमी संचार से जुड़ा है और यह तरक्की-समृद्धि का नया रास्ता खोल रहा है।पुराने में जब तकनीक का आविष्कार नहीं हुआ था तो भी संचार का अस्तित्व था और यह कार्य दूत,कबूतर आदि के माध्यम से संपन्न होता था।

आधुनिक दौर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बदौलत संचार ने तीव्रतम रूप अख्तियार कर लिया है।आज पलभर में सूचना एक जगह से दूसरी जगह पहुँच रही हैं।स्थिति यह हो गई है कि रोटी,कपड़ा और मकान की तरह ही सबको तीव्रतम संचार की सुविधा चाहिए।ये बातें सीएम कॉलेज के इग्नू अध्ययन केन्द्र के समन्वयक और संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ आर एन चौरसिया ने कही।वे डॉ प्रभात दास फाउण्डेशन के द्वारा विश्व दूरसंचार दिवस के अवसर पर मानवीय जीवन में संचार की महत्ता विषयक भाषण प्रतियोगिता सह संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

शहर के +2 एमकेपी विद्यापति उच्च विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में डॉ चौरसिया ने बताया कि विश्व भर में देवऋषि नारद मुनि को संचार के माध्यम पत्रकारिता का पुरोधा पुरूष माना गया है।नारद जयंती के दिन विश्व दूरसंचार दिवस मनाने के कई मायने हैं।नारद मुनि के काल से लेकर अबतक संचार अर्थात सूचना संप्रेषण कार्य में व्यापक तब्दील आ चुकी है।आज हर व्यक्ति घर बैठे देश-दुनियाँ की जानकारी प्राप्त कर रहा है।संचार की महत्ता इसी से समझी जा सकती हैं कि इसके बिना मनुष्य पंगु नजर आता है।तकनीक ने संचार के स्वरूप को ही बदल दिया है।

उन्होंने संचार की विस्तृत व्याख्या करते हुए बताया कि किसी माध्यम से जैसे बोलने, लिखने, इशारे, आदि की मदद से सूचनाओं के आदान प्रदान की प्रक्रिया ही संचार कहलाती हैं।संचार की बदौलत हमारी मानवीय सभ्यता का इतनी ज्यादा विकसित बनी हैं।आज हम दुनियाँ भर में किसी भी व्यक्ति के साथ अपने ज्ञान और विचार को आसानी से साझा कर सकते हैं।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व वार्ड पार्षद आशुतोष कुमार ने बताया कि प्रतिवर्ष 17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ की स्थापना हुई थी। इसलिए वर्ष 1969 में इस दिन को विश्व दूरसंचार दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी।

इसका मूल उद्देश्य सूचना और संचार के माध्यमों को प्रत्येक क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध करवाना है।वहीं एमटूएस कौशल विकास केन्द्र के निदेशक मधुरेंद्र चौधरी ने कहा कि संचार का उपयोग करते वक्त एतिहात भी जरूरी है।इसके अभाव में व्यक्ति गलत सूचना संप्रेषण का आधार बन जाता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ मकसूद आलम ने कहा कि सूचनाओं का मंथन करने से भविष्य में होनेवाली घटनाएं भी समझ में आ जाती है।इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बदौलत संचार का संप्रेषण हर व्यक्ति तक हो रहा है।इसका उपयोग करनेवाले लोग आसानी से सफल हो रहे हैं।

विषयवस्तु पर बोलते हुए विद्यालय के बच्चों ने भी मानवीय जीवन में संचार की महत्ता को रेखांकित किया।सर्वश्रेष्ठ विचार व्यक्त करने के लिए सुमित कुमार, कोमल कुमारी, अलका कुमारी, रामबाबू साह,मो.आमीर, संजीत कुमार,सना परवीन और सुरूचि कुमारी को प्रथम से आठवें स्थान के लिए पुरस्कृत किया गया।भाषण प्रतियोगिता में निर्णायक के तौर पर शिक्षक शमीम अहमद, प्रदीप कुमार एवं शबाना अंजुम मौजूद थी।जबकि अतिथियों का स्वागत दिलीप मंडल ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन अजय पासवान ने दिया।कार्यक्रम का संचालन सधे शब्दों में हिन्दी के शिक्षक संजय कुमार चौधरी ने किया।मौके पर शक्ति कुमारी, मनीषा भारती, राजा यादव,मधुबाला कुमारी,फाउण्डेशन के अनील सिंह,राजकुमार आदि मौजूद थे।