-राज्य स्वास्थ्य कार्यक्रम पदाधिकारी पदाधिकारी शिशु स्वास्थ्य डा. विजय प्रकाश ने सीएस को दिया आवश्यक दिशा निर्देश

#MNN@24X7 मधुबनी/ 10 मार्च जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए मातृ-शिशु की मृत्यु के कारणों को (एमपीसीडीएसआर )मैटरनल पेरिनेटल चाइल्ड डेथ सर्विलांस एंड रिस्पांस वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। ताकि मातृ-शिशु मृत्यु के आंकड़ों में कमी लाई जा सके। इसको लेकर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विकसित एमपीसीडीएसआर पोर्टल जो 1 नवंबर 2022 से जिला में पूर्णत: लागू किया गया है उक्त सॉफ्टवेयर के माध्यम से शिशु मृत्यु की समीक्षा से संबंधित आंकड़े को रिकॉर्डिंग,रिपोर्टिंग, विश्लेषण आदि किया जाता है लेकिन राज्य स्वास्थ्य समिति के समीक्षा क्रम में पाया गया कि एसआरएस 2020 के अनुसार जिले में कुल अंडर -5 बच्चों की संभावित मृत्यु 2760 (अप्रैल 2022 से दिसंबर 2022) के विरुद्ध एमआईएस पोर्टल पर अप्रैल 2022 से दिसंबर 2022 तक कुल 233 अंडर- 5 बच्चों की मृत्यु जो लगभग 8 % एवं एमपीसीडीएसआर पोर्टल पर मात्र 1 जो (.43 %) का ही प्रविष्टि की गई है यह प्रविष्टि संभावित मृत्यु संगणना से बहुत ही कम है साथ ही एचएमआईएस पोर्टल पर एमपीसीडीएसआर पोर्टल में आंकड़ों की प्रविष्टि में काफी अंतर है जिसको लेकर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (शिशु स्वास्थ्य) डॉ विजय प्रकाश राय ने पत्र जारी कर सिविल सर्जन को 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों की होने वाली मृत्यु का शत-प्रतिशत प्रविष्टि एचएमआईएस एवं एमपीसीडीएसआर पोर्टल पर शत -प्रतिशत करने का निर्देश दिया है.

इन कर्मियों को किया गया है प्रशिक्षित :

जारी पत्र के अनुसार संबंधित चिकित्सा महाविद्यालय, अस्पताल के पेट्रिशियन, सीआईडी नोडल नीकु / एसएनसीयू डाटा एंट्री ऑपरेटर, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई से क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक, क्षेत्रीय डेटा एवं अनुश्रवण मूल्यांकन पदाधिकारी, क्षेत्रीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी तथा जिला स्वास्थ्य समिति से एसीएमओ और जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी को प्रशिक्षित किया जा चुका है.

क्या है एमपीसीडीएसआर सॉफ्टवेयर :

सिविल सर्जन डॉ ऋषि कांत पांडे ने बताया एमपीसीडीएसआर
पोर्टल के माध्यम से शिशु मृत्यु का ब्योरा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज होता है ।पहले जिले में शिशु मृत्युदर समीक्षा की रिपोर्ट मैन्युअल ही दर्ज किया जा रहा था। शिशु मृत्यु की समीक्षा रिपोर्ट दर्ज होने के बाद शिशु मृत्यु की समीक्षा व कारणों को पता लगाने में सहूलियत होती है। इस नई पहल को जिले में शुरुआत कर दिया गया है। जिसका आने वाले दिनों में बेहतर परिणाम देखने को मिलने लगेगा। स्वास्थ्य विभाग शिशु मृत्युदर की समीक्षा रिपोर्ट प्रक्रिया को सुगम और सरल बनाने के लिए डिजिटलाइजेशन पर विशेष जोर दे रहा है।

क्या है उद्देश्य:

इसका मुख्य उद्देश्य है कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ससमय समीक्षा कर उसका त्वरित निष्पादन करने में सहूलियत होगी। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए राज्य स्तर पर शिशु मृत्युदर की समीक्षा को मैटरनल पेरिनेटल एंड चाइल्ड सर्विलांस रेस्पोंस सॉफ्टवेर यानी एमपीसीडीएसआर सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। एसआरएस वर्ष 2020 के अनुसार बिहार के शिशु मृत्यु दर में 2 अंकों की कमी आई है। राज्य की शिशु मृत्यु दर घटकर 27 हो गयी है। वहीं, देश का शिशु मृत्यु दर 28 हुआ जो राज्य के शिशु मृत्यु दर से 1 अंक अधिक है। विगत पांच सालों से जिले के शिशु मृत्यु दर में निरंतर कमी आ रही है। वर्ष 2015 में जिले की शिशु मृत्यु दर 42 थी, जो 2016 में घटकर 38 हुई थी।