भाई-बहिन’क अटूट प्रेम के प्रतीक भरदुतिया पाबनि एहि साल 6 नवंबर के शनिदिन मनाओल जा रहल अछि।आजुक दिन बहिन सब अपन-अपन भाइ लोकनि कें लेल,मंगलकामना करैत नमहर उमरि के कामना सेहो करैत छथि। आजुक दिन मैथिलानी सब अपन पूरा घर-आंगन के धो-बहारि आ नीप-पोईत के साफ सुथरा सेहो करैत छथि।तत्पश्चात भगवान घर के आगू वा आंगन के बीच में ठाँऊ द अरिपन करैत छथि। एकर बाद,भाई’क इंतजार के संगहि प्रारम्भ होइत अछि मिथिला के अपूर्व लोक गीत’ क जकरा बहीन,भाई लोकनि कें आशीष दैत गाबैत छथिन्ह। भरदुतिया”के यम द्वितीया के नाम से सेहो जानल जाइत अछि। बहुतो लोक आजुक दिन मृत्यु के देवता यम आ चित्रगुप्त जी के पूजा सेहो करैत छथि।परंपरा त इहो अछि जे,अकाल मृत्यु सं छुटकारा पेबाक लेल भाई-बहीन यमुना में स्नान सेहो करैत छथि।भरदुतिया वा यम द्वितीया के मौका पर बहीन आ भाई एक दोसरा के आशीष सनेस सेहो पठबैत छथि।

कार्तिक शुक्ल द्वितीया के पूर्व काल में यमुना जी यमराज के अपना घर पर सत्कारपूर्वक भोजन करेलथि।जाहि तिथि के यमुना, यम के नोतलनि आ अपन घर भोजन करा ई आशीष लेलन्हि जे आजुक दिन जे भाई अपन बहीन सं नोत लेता,हुनका सं,यम दूरे रहताह हुनका ओहि दिन सं नारकीय जीवन सबसँ मुक्ति सेहो भेटतनि आ ओ सुख पूर्वक अपन जीवन व्यतीत करताह।आजुक दिन सबसं पहिले एकटा साफ सुथरा आसन पर पिठार’क घोर सं अरिपन बनाओल जैत अछि।आसन के आगू म सेहो अरिपन बना ओकर बीच में सिंदूर लगा एकरा पिठार युक्त बासन मे साफ जल, 6टा कुम्हर के फूल,6टा सुपारी, सिंदूर, 6टा पान के पात, केराऊ, जायफल (कुम्हार के फूल नहि रहला पर गेंदा क फूल सेहो लेल जा सकैत अछि।)आदि राखल जाएत अछि।

बहीन,भाई के पहिने आसन पर बैसाबति छथि।आ भाई अपन आंजुर आगू करैत छथि। बहीन हुनकर दुनू हाथ में पिठार(चाऊर’क घोर) आ सिंदूर लगा भाई के आंजुर में पान के पात, सुपारी, केराऊ, कुम्हर के फूल,धातु आ आंजुर के ऊपर धागा द के कहैत छथिन्ह – “यमुना नोतैत छथि यम के हम नोतय छी अपन भाई के, जतेक पैघ यमुना क धार छन्हि ओहिना हमर भाय के उमरि बढ़ै।” ई कहि बहिन आंजुर क साफ जल स धोईत छथिन्ह। ऐ तरहे तीन बेर ई विध कैल जाएत अछि, तदुपरान्त टीका लगा केराऊ खुआ बहिन,भाई के खूब आशीष दैत छथिन्ह।ओकर बाद भाई,बहिन के अपन सामर्थ्य के अनुसारे उपहार दैत शुभाशीष सेहो प्राप्त करैत छथि।

बुधियार लोक सब के आजुक दिन अपन घर मुख्य भोजन नई करबाक चाही। हुनका चाही जे आजुक दिन अपन बहीन के घर जा हुनके सं नोत लेबा उपरान्त हुनके हाथ सं बनल पुष्टिवर्धक खेनाई के स्नेह पूर्वक ग्रहण करैथ।आजुक दिन अपन बहीन’क हाथ के भोजन उत्तम मानल गेल अछि।यदि अपन बहीन नहि हों तखन अपन चच्चाजी, मामा के बेटी, मौसी के बेटी वा संगी के बहीन के अपन बहीन माईन बहीने के हाथे भोजन अवश्य करबाक चाही। संगहि बहीन के सेहो चाहियैन जे यथासंभव भाई’क सम्मान करथि आ भाई,बहीन के अन्न, वस्त्र आदि द’ हुनका सं शुभाशीष अवश्य प्राप्त करथि।

एकर अलावा आजुक दिन आराध्य देव चित्रगुप्त जी के पूजा सेहो कैल जाइत छईन्ह।कारोबारी बन्धु बहीखाताक सबहक पूजा सेहो करैत छथि।

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