संस्कृत विश्वविद्यालय में पांच दिनों तक चला मंथन
सूचना वैज्ञानिक के सहयोग से करीब तीन हजार शब्दों पर लगी मुहर

#MNN@24X7 दरभंगा। मिथिला व मैथिली प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी यह है कि अब बहुत जल्द उनके सामने मैथिली में सूचना प्रौद्योगिकी की शब्दावली भी आने वाली है। इससे न सिर्फ वैज्ञानिक शब्दों को मैथिली में समझने में आसानी होगी बल्कि मातृभाषा की पकड़ भी और मजबूत होगी। मैथिली में शब्दावली निर्माण के लिए भारत सरकार के वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, शिक्षा मंत्रालय (उच्चतर शिक्षा विभाग) के सहायक निदेशक दीपक कुमार के नेतृत्व में संस्कृत विश्वविद्यालय में विद्वानों संग पांच दिनों से मंथन चल रहा था। आज शब्दावली को अंतिम रूप दे दिया गया। सूचना वैज्ञानिक डॉ नरोत्तम मिश्रा के संयोजन में करीब तीन हजार मैथिली में तकनीकी शब्दों का निर्माण सम्भव हो पाया।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि सहायक निदेशक श्री कुमार ने भरोसा दिया कि बहुत जल्द ही वेवसाईट एवं पुस्तक के रूप में तकनिकी मैथिली शब्दावली सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी शब्दाबली का मैथिली भाषा में निर्माण कार्य से वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ी को अत्यंत लाभ होगा। उन्हें सूचना प्रोद्योगिकी से सम्बंधित शब्दों को अपनी मातृभाषा में अर्थ समझने में आसानी होगी। शब्द निर्माण के लिए उन्होंने सभी विषय विशेषज्ञों को धन्यवाद दिया। वहीं स्थानीय स्तर पर विशेष सहयोग के लिये कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ शशिनाथ झा के प्रति आभार व्यक्त किया।

मालूम हो कि शब्द निर्माण कार्य में बीआरए विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ इंदुधर झा, डॉ रत्न कृष्ण झा, एल एन मिथिला विश्वविद्यालय के मैथिली विभाग के अध्यक्ष प्रो दमन कुमार झा, डॉ अजीत मिश्र, डॉ संतोष कुमार और केएसडीएसयू के डॉ नरोत्तम मिश्र विशेषज्ञ के रूप में शामिल थे। अन्य सहायक कर्मियों में पुस्तकालय प्रभारी लक्ष्मी साह, शिवशंकर झा, अजय कुमार झा, कमलेश कुमार थे।