किसी भी समाज मे व्यक्ति के समग्र विकास की पहली उर आवश्यक शर्त शिक्षा ही है- शशि यादव।

दरभंगा 7 जनवरी। अखिल भरतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के द्वारा शिक्षा रोजगार अधिकार अभियान के तहत आज भाकपा(माले) जिला कार्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अद्यक्षता ऐपवा जिला अध्यक्ष साधना शर्मा ने किया।

कार्यक्रम का विषय प्रवेश प्रो ज्योत्स्ना कुमारी ने किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऐपवा राज्य सचिव शशि यादव ने सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्ष की विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि 19वीं शताब्दी में जब महिला के लिए पढ़-लिख पाना एक सपना था तब सावित्रीबाई फुले ने बहुसंख्यक शोषित-पीड़ित लोगों और महिलाओं को न सिर्फ पढ़ने-लिखने का सपना देखना बल्कि इसे साकार करना भी सिखाया। उनकी शिक्षा के लिए अनवरत संघर्ष की। आज जब शिक्षा के मौलिक अधिकार का दायरा बढ़ाने के लिए तरह-तरह के संघर्ष हो रहें हैं तो हमें ये बिल्कुल नहीं भूलना चाहिए कि इसका डंका सावित्री बाई फुले बहुत पहले बजा चुकीं हैं। वंचित समूहों का इतिहास लेखन वगैर फुले दम्पति की चर्चा का सम्भव नहीं होगा।

वही भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता आर के सहनी ने कहा कि किसी भी समाज में व्यक्ति के समग्र विकास की पहली और आवश्यक शर्त शिक्षा ही है। शिक्षा किसी भी देश के सजग और समग्र विकास का मजबूत आधार होता है। हमारे देश में भी समावेशी और वैज्ञानिक शिक्षा की नींव रखने वाली सावित्रीबाई फुले की गौरवमयी विरासत मौजूद है। सवाल यह है कि आज हमारे पढ़े-लिखे सभ्य समाज ने अपनी इस विरासत का क्या किया? उनके शैक्षणिक, साहित्यिक चेतना, सामाजिक और राजनीतिक विरासत को बचाने की कोई ठोस सुगबुगाहट और कोई इच्छाशक्ति देखने को नहीं मिलती! ऐसा लगता है उनकी क्रांतिकारी चेतना को जिंदा नहीं रहने देने में ही सत्ता पर काबिज तकतों की भलाई है। जबकि शिक्षा को लेकर सावित्रीबाई फुले की परिकल्पना बहुत ही स्पष्ट, दूरदर्शी और समावेशी थी। शिक्षा से उनका तात्पर्य शोषण आधारित मानसिकता की जगह विज्ञान आधारित मानवीय मूल्यों को स्थापित करना था।

वही प्रो ज्योत्स्ना ने कहा कि सावित्रीबाई फुले जाति और पितृसत्ता के गठजोड़ को उसकी समग्रता में समझती थी। इसलिए उन्होंने सहस्रों पीड़ा झेल कर भी महिलाओं को शिक्षित करने की जोखिम उठायी थी। आज देश-समाज के संस्थानों में प्रमुख पदों पर महिलाएं बहुत कम दिखतीं हैं तो इसका मुख्य कारण यह है कि हमारे पितृसत्तात्मक समाज व्यवस्था को महिलाओं से कमांड लेने की आदत नहीं है। युवा पीढ़ी को इसके लिए आगे आना होगा।

वही ऐपवा जिला अध्यक्ष साधना शर्मा ने कहा कि आज वर्तमान सरकार पुनः एकबार नई शिक्षा नीति 2020 लाकर लड़कियों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश रची जा रही ही। इसके खिलाफ हम सभी महिलाओं को आगे आकर आंदोलन को तेज करना होगा।

इस अवसर पर हसीना खातून, गीता देवी, रानी कुमारी, प्रीति कुमारी, रानी शर्मा, बसंती देवी,शैल देवी सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।