कहा- कोर्ट के चक्कर से भी मिलता है छुटकारा।

11 मई को आयोजित लोक अदालत से राहत लेने की अपील।

#MNN@24X7 दरभंगा, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि लोक अदालत त्वरित न्याय पाने का सर्वोत्तम माध्यम है। इसलिए विश्वविद्यालय के जो कर्मी अपनी समस्याओं या फिर मांगों को लेकर उच्च न्यायालय में वाद दायर कर रखे हैं या फिर उनका अवमाननावाद का मामला विचाराधीन है और अब चाहते हैं कि जल्द न्यायिक फैसले आ जाये तो उनके लिए 11 मई,24 एक सुनहरा अवसर है। उन्हें इसी तिथि को पटना में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों को ले जाकर लाभ उठाना चाहिए। इसके पूर्व उन्हें विश्वविद्यालय स्तर पर विभागीय औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि लोक अदालत में जाने से श्रम, अर्थ व समय तीनो की बचत होगी।

देना होगा सहमति पत्र व अन्य साक्ष्य

विश्वविद्यालय के पीआरओ निशिकांत ने बताया कि जो कर्मी 11 मई को प्रस्तावित राष्ट्रीय लोक अदालत में अपने मामले को ले जाना चाहते हैं उन्हें अपने केस से सम्बंधित ठोस सबूत या साक्ष्य के साथ अपना एक सहमति पत्र भी विश्वविद्यालय को देना होगा। इसके बाद ही उनके मामले लोक अदालत के लिए प्रेषित किये जायेंगे। बता दें कि लोक अदालत सम्बन्धी यह सुविधा नौ अप्रैल, 24 दिवसीय उच्च शिक्षा निदेशक,पटना द्वारा प्रेषित पत्र के आलोक में दी जा रही है।

वहीं, प्रभारी कुलसचिव डॉ पवन कुमार झा ने शनिवार को सभी विभागाध्यक्षों एवं कालेजों के प्रधानाचार्यों को सूचित करते हुए दो दिनों के भीतर उन कर्मियों की वांछित जानकारी मांगी है जो लोक अदालत से न्याय पाने के इच्छुक हैं। वहीं, विधि पदाधिकारी डॉ कृष्णा नन्द झा के अनुसार,

इसके लिए आवेदकों के लिए वजाप्ता पत्र के साथ सहमति सम्बन्धित एक प्रपत्र भी प्रेषित किया गया है। इसे प्रपुरित कर कुलसचिव के विभागीय ईमेल पर भेजना होगा। इसके बाद भेजी गई जानकारी व अन्य साक्ष्यों की विश्वविद्यालय स्तर पर समीक्षा की जाएगी। इसके बाद विधि सम्मत होने पर ही मामले लोक अदालत में प्रस्तुत किए जाएंगे। सम्बन्धित आशय की जानकारी विश्वविद्यालय के सभी सूचना पटों पर भी दी गयी है।