पीके का नीतीश के राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा पर बड़ा हमला, बोले – नीतीश कुमार और राजद का अपना ठिकाना है नहीं, ये लोग क्या किसी को पीएम बनाएंगे, नीतीश का हाल चंद्रबाबू नायडू जैसा होगा।

#MNN@24X7 पातेपुर, वैशाली, 25 अप्रैल, जन सुराज पदयात्रा के 206वें दिन की शुरुआत वैशाली के पातेपुर प्रखंड अंतर्गत हरिलोचनपुर सुक्की पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने जिले के पत्रकारों के साथ संवाद किया। पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने अपने पदयात्रा का अनुभव साझा किया। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ हरिलोचनपुर सुक्की पंचायत से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा दधुआ, मौदह चतुर होते हुए पातेपुर प्रखंड के मौदह बुज़ुर्ग पंचायत स्थित मौदह बुज़ुर्ग हाई स्कूल मैदान में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। आज प्रशांत किशोर वैशाली के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए। उनकी स्थानीय समस्याओं को समझ कर उसका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने की बात कही। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने 2 आमसभाओं को संबोधित किया और 4 पंचायत के 8 गांवों से गुजरते हुए 10.4 किमी की पदयात्रा तय की।

नीतीश कुमार और राजद का अपना ठिकाना है नहीं, ये लोग क्या किसी को पीएम बनाएंगे, नीतीश का हाल चंद्रबाबू नायडू जैसा होगा: प्रशांत किशोर।

जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के पातेपुर में मीडिया संवाद के दौरान नीतीश कुमार पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार क्या कर रहे हैं इस पर ज्यादा बोलने का कोई मतलब नहीं है। 2019 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे चंद्रबाबू नायडू वो इसी भूमिका में थे जिस भूमिका में नीतीश कुमार आने का प्रयास कर रहे हैं। चंद्रबाबू नायडू उस समय बहुमत की सरकार चल रहे थे जबकि नीतीश कुमार तो 42 विधायक के साथ लंगड़ी सरकार चला रहे हैं। चंद्रबाबू नायडू भी पूरे देश का दौरा करके विपक्ष को एकजुट कर रहे थे। इसका नतीजा ये हुआ कि आंध्र प्रदेश में उनके सांसद घटकर 3 हो गए, सिर्फ 23 विधायक जीतें और वे सत्ता से ही बाहर हो गए। नीतीश कुमार को बिहार की चिंता करनी चाहिए। नीतीश कुमार का खुद का ठिकाना नहीं है, राजद का जीरो एमपी है वो देश का प्रधानमंत्री तय कर रहा है। जिस पार्टी का खुद का ठिकाना नहीं है वो देश की दूसरी पार्टियों को इकट्ठा कर रहा है। नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल दौरे पर गए तो नीतीश कुमार से ये पूछना चाहिए कि क्या ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ काम करने को तैयार है? क्या नीतीश कुमार और लालू TMC को बिहार में 1 भी सीट देंगे? क्या नीतीश कुमार हमसे ज्यादा ममता बनर्जी को जानते हैं? पश्चिम बंगाल में नीतीश कुमार को पूछता कौन है। नीतीश कुमार का भी वही हाल होगा जो चंद्रबाबू नायडू का हुआ था।

तेजस्वी यादव अगर लालू जी के लड़के नहीं हों तो देश में ऐसी कोई नौकरी नहीं है जो उनकी काबिलियत पर उनको मिल जाएगी: प्रशांत किशोर

जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के पातेपुर में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनाव से पहले RJD ने घोषणा कर दी कि हम आएंगे तो शिक्षकों की स्थिति को सुधार देंगे। यही काम 2015 में भाजपा ने किया था, जो विपक्ष में रहता है, वो यही काम करता है। जो कह रहा है कि 10 लाख नौकरियां दे देंगे उनसे कोई ये नहीं पुछ रहा है कि आपके ही तो माता जी और पिता जी 15 साल सरकार में थे तब क्यों नौकरी नहीं दी? अंध भक्त होकर आप किसी को वोट देंगे तो आप ठगे ही जाएंगे। तजस्वी यादव ने कहा था कि वो 10 लाख नौकरियां दे देंगे और पहली ही केबिनेट में देंगे, अब आप बंगाल, उत्तर प्रदेश घूम रहे हैं और अगस्त से सरकार में भी हैं। पहले केबिनेट की बजाय 100 केबिनेट हो गई लेकिन अभी तक आपने नौकरियां नहीं दी है, अगर आप नौकरियां नहीं दे रहे हैं तो आप बिहार की जनता से माफी मांग लीजिए कि आप नौकरी नहीं दे सकते हैं। तेजस्वी का जीवन निकल जाएगा 10 लाख नौकरियां देने में। अगर तेजस्वी खुद लालू जी के लड़के नहीं हों तो देश में ऐसी कोई नौकरी नहीं है, जो उनकी काबिलियत पर उनको मिल जाएगी।

बिहार में भाजपा की सिर्फ एक पिछलग्गू की औकात रही है, भाजपा ने बिहार के भविष्य को नीतीश के हाथों बेच दिया: प्रशांत किशोर।

जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के पातेपुर में मीडिया संवाद के दौरान भाजपा पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में भाजपा की हमेशा से पिछलग्गू की औकात रही है। जिस तरह से कांग्रेस ने दिल्ली में बिहार से सांसद आते रहे उसके लिए बिहार के बच्चों के भविष्य को दांव पर लगाकर लालू का साथ दिया, उसी तरह भाजपा ने बिहार के भविष्य को दांव पर लगाकर नीतीश का साथ दिया। 2020 में भाजपा बिहार में सबसे बड़ा दल था और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बन रहे थे, लेकिन भाजपा ने जिम्मेदारी नहीं ली। भाजपा ने नीतीश के प्रेम में उनका साथ नहीं दिया था। भाजपा ने अपना समीकरण ठीक करने के लिए नीतीश का साथ दिया था ताकि केंद्र में उनके सांसद जीतकर जाते रहें। भाजपा को बिहार से सिर्फ 30-40 एमपी जीतने तक का ही मतलब है इससे ज्यादा उनके लिए बिहार कुछ भी नहीं है।