प्रशांत किशोर का नीतीश सरकार पर बड़ा हमला, बोले – बिहार के हर गांव से 40 से 50 प्रतिशत युवा रोजगार या शिक्षा के लिए पलायन करने को मजबूर हैं, शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त करने के लिए इतिहास नीतीश को कभी माफ नहीं करेगा।

#MNN@24X7 पातेपुर, वैशाली 26 अप्रैल, जन सुराज पदयात्रा के 207वें दिन की शुरुआत वैशाली के पातेपुर प्रखंड अंतर्गत हरिलोचनपुर सुक्की पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय पत्रकारों के साथ संवाद किया। पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने अपने पदयात्रा का अनुभव साझा किया। जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से प्रशांत किशोर 2 अक्तूबर 2022 से लगातार बिहार के गांवों का दौरा कर रहे हैं। उनकी पदयात्रा अबतक लगभग 2500 किमी से अधिक की दूरी तय कर चुकी है। पश्चिम चंपारण से शुरू हुई पदयात्रा शिवहर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सारण होते हुए वैशाली जिले पहुंची है। वैशाली में पदयात्रा अभी 15 से 20 दिन और चलेगी और इस दौरान अलग-अलग गांवों और प्रखंडों से गुजरेगी।

बिहार के हर गांव से 40 से 50 प्रतिशत युवा रोजगार या शिक्षा के लिए पलायन करने को मजबूर हैं: प्रशांत किशोर।

जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के पातेपुर में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बेरोजगारी और पलायन बिहार की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। इस समस्या को समझने के लिए आपको बिहार में पदयात्रा करने की जरूरत नहीं है। पदयात्रा की वजह से इस समस्या की विकरालता का पता चला है। बिहार के ज़्यादातर गांव में 40 से 50 प्रतिशत युवा गांव में नहीं हैं। गांव में बच्चे, बूढ़े और महिलाएं ही नज़र आते हैं। पलायन की समस्या को लोग गरीबों की समस्या मानते हैं, लेकिन पलायन से जितना प्रभावित ग़रीब समुदाय है उतना ही प्रभावित आर्थिक रूप से समृद्धि समुदाय भी है। ग़रीब व्यक्ति तो रोज़गार के लिए बाहर जा रहा है, लेकिन आर्थिक रूप से समृद्धि परिवार के बच्चे भी बिहार में सुविधा के अभाव में पढ़ाई और अच्छी नौकरी के लिए बाहर जा रहे हैं। बिहार ने परिवार की मूल अवधारणा को लगभग ख़त्म कर दिया है। गांव में शायद ही कोई ऐसा परिवार है जहां बच्चे अपने माता पिता के साथ रहते हैं।

बिहार की शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना नीतीश कुमार के कार्यकाल का सबसे बड़ा काला अध्याय, इसके लिए इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा: प्रशांत किशोर।

जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के पातेपुर में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि ये जो पूरी समतामूलक शिक्षा व्यवस्था बनाने की दिशा में प्रयास हुआ उसका नतीजा ये हुआ कि जहां विद्यालय है वहां शिक्षक नहीं हैं, जहां शिक्षक हैं वहां विद्यालय नहीं है और जहां दोनों हैं वहां बच्चें ही नहीं हैं। जहां तीनों है वहां शिक्षकों को ग़ैर शिक्षण कार्य में लगा दिया गया है। बिहार में पढ़ाई को लेकर जो उदासीनता है उसकी वजह से यहां शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। मुझे लगता है जब नीतीश कुमार के कार्यकाल का इतिहास लिखा जाएगा तो जैसे लालू जी के राज को जंगलराज के तौर पर याद किया जाता है, तो नीतीश कुमार के कार्यकाल को शिक्षा व्यवस्था के लिए सबसे बड़ा काला अध्याय माना जाएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि कल बिहार में एक अच्छी सरकार आ जाएगी तो टूटी हुई सड़क बन जाएगी, लेकिन जो पीढ़ी इस शिक्षा व्यवस्था की वजह से आशिक्षत रह गई है। अब अगर अच्छी सरकार आ भी जाए तो भी उसको शिक्षित समाज के पीछे ही रहना पड़ेगा। नीतीश कुमार जो ख़ुद पढ़े लिखे व्यक्ति हैं, उनके कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना समाज के लिए चिंतनीय विषय है। इतिहास नीतीश कुमार को इसके लिए कभी भी माफ़ नहीं करेगा।