#MNN@24X7 दरभंगा। वित्त रहित शिक्षा नीति को समाप्त कर घाटानुदानित वेतनमान तथा बकाया अनुदान का एकमुश्त भुगतान की मांग को लेकर संबद्ध महाविद्यालय संघर्ष समिति के तत्वावधान में गरदनीबाग पटना स्थित धरनास्थल पर महाधरना सह विधानसभा घेराव का आयोजन किया गया।

धरनास्थल पर एक सभा हुई जिसकी अध्यक्षता संघर्ष समिति के अध्यक्ष डाॅ राम मोहन झा ने किया। डाॅ राम मोहन झा ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार सरकार को वित्त रहित शिक्षा नीति को समाप्त कर घाटानुदानित आधारित वेतनमान देने की दिशा में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश शिक्षा विभाग को तत्काल देना चाहिए। बिहार सरकार वर्ष 2008 से परीक्षाफल आधारित अनुदान दे रही है लेकिन समय पर अनुदान भी नहीं मिल पाई रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार तत्काल सत्र 2013-16 से सत्र 2019-22 तक का एकमुश्त अनुदान सीधे शिक्षाकर्मियों के खाते में करने की व्यवस्था करे। राज्य में संबद्ध डिग्री काॅलेज, इन्टर काॅलेज एवं उच्च विद्यालय वित्त रहित संस्थान हैं। इन वित्त रहित संस्थानों में अनुदान भुगतान हेतु नीतिगत निर्णय में त्रुटि रहने के कारण किसी भी महाविद्यालय या विद्यालय में अनुदान वितरण में एकरूपता नहीं है।विश्वविद्यालय के दांव पेंच एवं शासी निकाय की मनमानी के कारण अनुदान वितरण में भी कठिनाई हो रही है।

सभा को संबोधित करते हुए मुख्य संरक्षक श्री रजनीकांत पाठक ने कहा कि सरकार बड़ी संख्या में रोजगार देने की बात कह रही है यदि राज्य के वित्त रहित डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षाकर्मियों की नौकरी स्थाई कर दी जाए तो सरकार को बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल होगी तथा वर्षों से बंधुआ मजदूर की तरह शासी निकाय की मनमानी के बीच कार्य कर रहे संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षाकर्मियों के जीवन में एक नए अध्याय का प्रवेश होगा।

सभा को संबोधित करने वाले प्रमुख लोगों में प्रवक्ता प्रो ज्योति रमण झा, डाॅ सुरेश राम, प्रो शशांक शेखर पुरूषोत्तम झा, भरत यादव, डाॅ संजीव कुमार झा, डाॅ दिलीप कुमार झा सहित कई अन्य लोग थे।

सभा के बाद सभी शिक्षाकर्मी विशाल जुलूस के शक्ल में विधानसभा की ओर प्रस्थान किया विधानसभा गेट पर सुरक्षाकर्मियों ने जुलूस रोक दिया। सुरक्षाकर्मी एवं शिक्षाकर्मियों के बीच तीखी नोक झोक हुई। बाद में शिक्षाकर्मियों ने मुख्यमंत्री के नाम प्रेसित ज्ञापन सौंपा जिसमें वित्त रहित शिक्षानीति समाप्त कर नियमित वेतनमान देने एवं बकाए अनुदान का एकमुश्त भुगतान सीधे शिक्षाकर्मियों के खाते में करने की मांग की गई है।