-जिंदगी जीने की तम्मना छोड़ चुकी थी अनिता, पर नियमित दवा सेवन से मिली उसे नई जिंदगी।

-मरीज को मृृत समान बना देता है फाइलेरिया।
-जागरूकता से ही फाइलेरिया का हो सकता है खात्मा।
-पति कुष्ठ और पत्नी फाइलेरिया रोग से ग्रसित होने के
बावजूद जी रही है स्वाबलंबी जीवन।

#MNN@24X7 समस्तीपुर। मेरे पति कुष्ठ रोग से पीड़ित है। खुद फाइलेरिया से भी पीड़ित हूँ। इन चुनौतियों के बीच सामाजिक और मानसिक पीड़ा झेलना भी पड़ा। पांच परिवारों की परवरिश की जिम्मेदारी ने भीतर से ख़ुद को मजबूत भी किया। यह कहना है उस अनिता देवी की, जो पिछले बारह वर्षों से हाथी पांव फाइलेरिया से पीड़ित हैं।

रोग ने बढ़ाई मुश्किलें:

अनिता कहती हैं कि बीमारी के कारण काम-धंधा भी हो नहीं पा रहा था। परिवार चलाना मुश्किल हो गया था। वह ऐसे में जिंदगी जीने की उम्मीद छोड़ चुकी थी। तभी उनकी मुलाकात स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता मनीषा दीदी से होती है। उसके बाद अनिता अपनी बीमारी के बारे में उन्हें बताती है।

मनीषा अनिता को बीमारी से छूटकारा दिलाने के लिए कुछ नुस्खा बताती है। जैसे नियमित दवा सेवन, व्यायाम और पैर की देखभाल करना। बेशक, अनिता को उनकी बातों पर पहले तो यकीन ही नहीं हुआ। लेकिन जिंदगी से थकी-हारी अनिता उनकी बातों को मान ली। फिर नियमित दवा सेवन और अन्य उपचार शुरू कर दी। आज न सिर्फ अनिता अपने पैरों पर खड़ा होकर काम कर रही है। बल्कि अपने परिवार वालों का भी भरण-पोषण कर रही है।

मजदूरी कर परिवार का करते हैं पालन-पोषण:

समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर प्रखंड के बासुदेवपुर पंचायत के मनियारपुर गांव की रहने वाली अनिता देवी फाइलेरिया से और पति कुष्ठ रोग से ग्रसित थे। दोनों दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते। अनिता के बायां पैर में हाथी पांव फाइलेरिया का लक्षण दिखने लगा। धीरे-धीरे बीमारी बढ़ती गई। जब सूजन काफी बढ़ गया। काम करने में परेशानी होने लगी। तब स्थानीय चिकित्सक के पास उपचार के लिए पहुंची। उपचार व दवा खाने के बाद भी कोई लाभ नहीं हुआ। अब वह काम करने में भी बिल्कुल असमर्थ हो गई थी। उनके सामने सबसे बड़ी समय परिवार का भरण-पोषण का हो गया था।

नहीं था कोई आय का श्रोत, परिवार पालना हो गया था मुश्किल:

एक तो दोनों पति-पत्नी बीमारी से ग्रसित। उसके बाद छोटे-छोटे बच्चे का पालन-पोषण की जिम्मेदारी। सबकुछ एक बोझ जैसा हो गया था। क्योंकि आय का कोई श्रोत ही नहीं था। उसे लगा कि मेरा परिवार अब बिखर जाएगा। क्योंकि परिवार के पांच सदस्यों की जिंदगी किसके भरोसे चलता।

स्थानीय स्वास्थय कार्यकर्ता की मदद से मिली नयी जिंदगी:

स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता मनीषा दीदी को जब पता चला। वह अनिता के घर गयी। उनकी पूरी कहानी सुनी। फिर उन्हें दिलाशा दिलायी कि आप फिर से काम कर सकती है। नई जिदंगी जी सकती हैं। परंतु अनिता को यकीन नहीं हुआ। मनीषा ने बताया कि आप अपने पैर की सही तरीके से देखभाल करें। नियमित व्यायाम व दवा सेवन करें। इसके अलावा अनिता को जागृृति परियोजना के माध्यम से सुरक्षात्मक जूते और उपचार प्रदान किया गया। उसके बाद वह काम करने योग्य हो गई। अनिता फिर से अपने पति को काम से सहयोग करने लगी। अब गांव के लोग भी उनसे अच्छे व्यवहार करने लगे हैं। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मेरे जीवन यह बदलाव कैसे हो गया। यह सब जागृृति टीम और मनीषा दीदी की मदद से हुआ। मैं इस प्रोजेक्ट टीम का सदा आभारी रहूंगी।
संस्था के द्वारा किया गया आर्थिक सहयोग

अनिता को अमेरिकन लेप्रोसी मिशन के द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की गई। उस पैसे से अनिता कुछ सामान खरीदकर अपने पति को लाकर दी। ताकि फिर से उसका काम-धंधा शुरू हो गया। अब वह खुद-व-खुद स्वावलंबी और आत्मनिर्भर जीवन जी रही हैं। साथ ही लोगों को फाइलेरिया बीमारी से बचाव एवं प्राथमिक उपचार के लिए लोगों को जागरूक कर रही है।

क्या है फाइलेरिया

भीबीडीसीओ डॉ. विजय बताते हैं कि फाइलेरिया संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलती है। ये मच्छर फ्युलेक्स एवं मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं। जिसमें मच्छर एक धागे समान परजीवी को छोड़ता है। यह परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है।हाथ.पैरए अंडकोष व शरीर के अन्य अंगों में सुजन के लक्षण होते हैं। प्रारंभ में या सूजन अस्थायी हो सकता हैए किन्तु बाद में स्थायी और लाइलाज हो जाता है।
फाइलेरिया से पीड़ित होने पर निम्नांकित उपाय करना चाहिए:

-पैर अथवा जो अंग फाइलेरिया से प्रभावित हो उसे साधारण साबुन व् साफ पानी से रोज धोइये।
-एक मुलायम और साफ कपड़े से अपने पैर अथवा प्रभावित अंग को पोंछिये।
-पैर अथवा प्रभावित अंग की सफाई करते समय ब्रश का प्रयोग न करेंए इससे पैरों पर घाव हो सकते हैं।
-फटे घाव को खुजलाना नहीं चाहिए प्रतिदिन दवा लेप लगाना चाहिए