#MNN@24X7 दिनांक 27 मई, को वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन का शुभारंभ प्रोफेसर एनके.शाह पूर्व कुलपति, वीर कुंवर सिंह आरा के भाषण से हुआ। तत्पश्चात उसके अनुसार देश अब हरित क्रांति के माध्यम से भोजन एवं कुपोषण की समस्या को दूर करने में सक्षम हो गया है, एवं अब अनाज का विदेशों में भी निर्यात कर रहा है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ नेहा गर्ग ने कैंसर की रोकथाम हेतु औषधियो की खोज पर प्रकाश डाला।

पंजाब विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ प्रमिला पाठक ने भारत आर्किड फूलों की विविधता एवं उनके संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ अश्विनी कुमार राय ने वायुमंडल की स्वास्थ्य की रक्षा हेतु किए जाने वाले उपायों की जानकारी दी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ शिवम यादव ने नील हरित शैवाल के जैव उर्वरक स्वरूप पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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आईआईटी मंडी के डॉ बीपेंद्र कुमार सिंह ने पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले रसायनों से होने वाले प्रोस्टेट कैंसर और उनके निदान पर जानकारी दी। नाईजिरिया के डॉक्टर शेरिफ आदेएमी ने पाली मेरिक नैनो कण की जैवक्रिया पर चर्चा की। इस सत्र की अध्यक्षता अवकाश प्राप्त विभाग अध्यक्ष डॉक्टर इंद्र नाथ मिश्र एवं सहअध्यक्षता पूर्व कुलसचिव डॉ मुस्तफा कमाल अंसारी ने की। इस अवसर पर रिपोर्टर के रूप में डॉक्टर गोपाल जी गोपाल थे। ओरल एवं पोस्टर सत्रों में शोध और स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रस्तुति की।

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सम्मेलन के समापन सत्र में पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जयकर झा ने देश एवं दुनिया में खाद एवं स्वास्थ्य सुरक्षा के विभिन्न आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला।संगठन सचिव डॉ ख्वाजा सलाउद्दीन ने कार्यक्रम में उठाए गए विषयों की समीक्षा प्रस्तुत किया। वरीय शिक्षक डॉ गजेंद्र प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शहनाज जमील ने की और सम्मेलन आयोजन करने में सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया।

आयोजन समिति की ओर से वरीय शिक्षक डॉ आनंद मोहन मिश्रा एवं संगठन सचिव डॉ अंकित कुमार सिंह ने सभी छात्र छात्राओं के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के संचालन में तकनीकी सहयोग गणेश पासवान ने प्रदान किया सम्मेलन के दोनों दिनों में लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया।