आयुर्वेदिक कॉलेज में लीच थेरेपी के द्वारा इन्द्रलुप्त ( एलोपेसिया अरेटा )का सफल इलाज संभव हुआ।

दरभंगा। राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, मोहनपुर दरभंगा में प्राचीन भारतीय चिकित्सा के लुप्तप्राय हो रही अनेक विधियों को प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद के दिशा-निर्देशन में किया जा रहा है। प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया की महाविद्यालय के कैंपस में आयुर्वेद में वर्णित जलौका के माध्यम से रक्तमोक्षण विधि के द्वारा इन्द्रलुप्त जिसे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में एलोपेसिया अरेटा कहां जाता है। उसका सफल इलाज किया गया है। लीच थेरेपी के मात्र तीसरी सीटिंग में इस रोग को पूर्ण रूप से ठीक कर दिया गया है।

एलोपेसिया अरेटा जिसमें अचानक दाढ़ी, मूंछ और सिर के बाल के गोलाकार वृत क्षेत्र के आकार में गिर जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार वात के साथ मिला मिला हुआ पित्त रोमकूपों में जाकर बालों को गिरा देता है तथा इसके अनंतर रक्त के साथ मिला कफ रोम कूपों को बंद कर देता है जिसे उस स्थान में दूसरे बाल नहीं उगते हैं । रक्तमोक्षण में जलौका के द्वारा दूषित रक्त को पी लिया जाता है, जिससे वहां पर शुद्ध रक्त का संचार बढ़ जाता है। रोम कूपों को पोषण मिलने से बाल पुन:आ जाते हैं। लिच थेरेपी विशेषज्ञ डॉ दिनेश कुमार ने बताया की सारा मोहनपुर निवासी पूनम कुमारी उम्र 25 वर्ष, जो कि एलोपेसिया अरेटा से पीड़ित थी उन्हें प्रथम लीच थेरेपी 25 मार्च को दूसरी 18 मई को एवं तीसरी लीच थेरेपी 5 अगस्त को दिया गया है।

प्राचार्य प्रो. प्रसाद ने यह बताया आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ सुश्रुत संहिता में जलौका के बारे में विस्तृत वर्णन किया गया है।जलौका 12 प्रकार की बताई गई है, जिसमें 6 प्रकार की जलौका निर्विष एवं 6 प्रकार की जलौका विषैली होती है। लीच थेरेपी का त्वचा संबंधी पुराने रोग जैसे- सोरायसिस, सफेद दाग, एक्जिमा स्तन में गांठ, ग्लूकोमा,कैंसर आदि असाध्य रोगों में प्रयोग किया जा सकता है।

मिथिलांचल अनूप प्रदेश है। यहां पर तलाब की संख्या ज्यादा है, जिसमें मछली पालन एवं मखाना की खेती होती है। इन्हीं तालाबों में आसानी से इस क्षेत्र में जलौका उपलब्ध है। इस क्षेत्र में कपिला नामक जलौका बहुतायत मात्रा में उपलब्ध है। मछली पालन के साथ-साथ जलौका पालन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे आयुर्वेद चिकित्सा में जलौका के द्वारा रक्तमोक्षण विधि में तेजी आएगी एवं आयुर्वेद का समुचित विकास संभव हो सकेगा साथ ही साथ लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

मोहनपुर ग्राम के प्रधान श्री राजकुमार एवं उपप्रधान श्री रंजीत यादव ने प्राचार्य की भूरी -भूरी प्रशंसा करते हुए कहा की इनके द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में किए जा रहे सार्थक एवं सृजनात्मक प्रयास से ग्रामीण लोगों को आयुर्वेद के माध्यम से चिकित्सा लाभ प्राप्त हो रहा है।

उपप्रधान रंजीत यादव ने कहा जलौका पालन से ग्रामीण जनों को रोजगार के अवसर प्राप्त होगा। महाविद्यालय कैंपस में हर माह के पुष्य नक्षत्र में चलाए जा रहे “स्वर्ण प्राशन” कार्यक्रम के बारे में उपप्रधान ने बताया कि ग्रामीण बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफी बढ़ोतरी हुई। इस अवसर पर डॉ विनय कुमार शर्मा,डॉ शंभू शरण, डॉ दिनेश सिंह,डॉ ओम प्रकाश द्विवेदी, मीनू कुमारी आदि उपस्थित थे।