शिक्षकों में साधारण को असाधारण एवं योग्य को योग्यतम बनाने की होती है अद्भूत क्षमता- कुलपति।

किसी शिक्षक का अपने छात्र- छात्राओं के बीच रहना ही होता है सर्वाधिक मूल्यवान एवं आनंद का क्षण- प्रति कुलपति।

#MNN@24X7 दरभंगा, आदिकाल से हम अपने गुरुओं का सम्मान करते आ रहे हैं। शिक्षक हमें अपने कर्तव्यों के प्रति प्रेरित करते हैं। हमारे जीवन में प्रेरणा का बड़ा महत्व होता है, पर यह उसके लिए महत्वपूर्ण होता है जो जीवन में कुछ करना चाहता है। यही कारण है कि एक ही शिक्षक के सभी छात्र एक समान नहीं हो पाते हैं। वास्तविक शिक्षक परिस्थितियों को अनुकूल बनाने का कार्य भी करते हैं। उक्त बातें शिक्षक दिवस के अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के जुबिली हॉल में आयोजित ‘शिक्षक दिवस सम्मान समारोह- 2023’ की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कही।

कुलपति ने शिक्षक दिवस की शुभकामना एवं बधाई देते हुए कहा कि शिक्षकों में साधारण को और असाधारण तथा योग्य को योग्यतम बनाने की अद्भुत क्षमता होती है जो किसी दूसरे में नहीं होता। भारतीय दर्शन हमें बताता है कि जब हम किसी दूसरे का सम्मान करते हैं तो हम खुद भी सम्मानित होते हैं। वैसे तो दृष्टि सबके पास होती है, पर दृष्टिकोण सबके पास नहीं होता, क्योंकि वह हमारे विवेक, संस्कार व शिक्षा आदि द्वारा तय होता है। शिक्षक हमारे दृष्टिकोण को सकारात्मक बनते हैं। कहीं भी जब छात्र अपने गुरु के पैर छूता है, उनके कथनों को कोट करता है या प्रशंसा करता है तो यही उस शिक्षक का सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है।

उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस पर सम्मान करने की यह नई परंपरा विश्वविद्यालय में मेरे कार्यकाल में ही तीन वर्ष पूर्व प्रारंभ हुई थी और मुझे उम्मीद है कि यह अच्छी परंपरा आगे भी जारी रहेगी। कुलपति ने बताया कि कल से केन्द्रीय पुस्तकालय संध्या 8:00 बजे तक खुली रहेगी, जहां छात्र- छात्राएं बैठकर पढ़ सकेंगे।

प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने कहा कि किसी शिक्षक का अपने छात्र- छात्राओं के बीच रहना ही उनके लिए सर्वाधिक मूल्यवान एवं आनंद का क्षण होता है। हम आज के दिन उन शिक्षकों का विशेष सम्मान करते हैं जो हमें इस लायक बनाया।उन्होंने अपने आदरणीय, प्रेरक एवं संवेदनशील शिक्षकों के अनेक संस्मरणों को सुनाते हुए उन्हें याद किया और कहा कि विषय विशेषज्ञ एवं गुणवान शिक्षकों के प्रति खुद ही सम्मान का भाव जागृत होता है। प्रति कुलपति ने अवकाश ग्रहण करने वाले शिक्षकों एवं शिक्षककेत्तर कर्मियों से आग्रह किया कि वे अब आजाद हैं और शिक्षा के विकास के लिए कुछ न कुछ कार्य अवश्य करेंगे।

अपने स्वागत संबोधन में प्रभारी कुलसचिव प्रो अरुण कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान कुलपति ने विश्वविद्यालय को विकास की नई ऊंचाई प्रदान किया है, जबकि प्रति कुलपति का ज्यादा ध्यान शैक्षणिक माहौल बनाने में रहा है। उन्होंने कहा कि गत एक वर्ष में अवकाश ग्रहण करने वाले सदस्यों का सम्मान कर हम सब गौरवान्वित हो रहे हैं। आशा है कि ये अपने अनुभवों से विश्वविद्यालय को लाभ पहुंचाएंगे।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों से सितंबर 2022 से अगस्त 2023 के बीच अवकाश ग्रहण करने वाले 35 शिक्षकों एवं 65 शिक्षकेत्तर कर्मियों को पाग, चादर, माला एवं प्रशस्ति पत्र से कुलपति एवं प्रति कुलपति ने सम्मानित किया। मंचस्थ अतिथियों का स्वागत पाग, चादर एवं बुके से किया गया। समारोह का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से, जबकि समापन राष्ट्रगान के सामूहिक गायन से हुआ। बिहारगीत एवं कुलगीत विश्वविद्यालय संगीत एवं नाटक विभाग की छात्र- छात्राओं ने प्रस्तुत किया।

समारोह में प्रो हरि नारायण सिंह, मीना कुमारी, पेंशन पदाधिकारी डा सुरेश पासवान, कुलसचिव प्रथम डा कामेश्वर पासवान, गोपाल चौधरी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, पदाधिकारी एवं शिक्षकेत्तर कर्मी आदि उपस्थित थे। प्रो अशोक कुमार मेहता के कुशल संचालन में आयोजित समारोह में धन्यवाद ज्ञापन प्रो अजयनाथ झा ने किया।