संभाषण शिविर के सहभागी न केवल संस्कृत में बोलना सीखेंगे, बल्कि उन्हें संस्कृत भाषा- साहित्य का भी होगा बेहतर ज्ञान- विभागाध्यक्ष डा घनश्याम।
शिविर से बने माहौल, अपनी लगन एवं परिश्रम से मात्र 10 दिनों में सहभागी सीख सकेंगे संस्कृत में सरल वार्तालाप- प्राचार्य अमरनाथ।
शिविर में शामिल 100 से अधिक छात्र- छात्राओं एवं सहभागियों को समापन के दिन दिया जाएगा प्रमाण पत्र तथा मेडल- केन्द्राधिकारी डा चौरसिया।
#MNN@24X7 दरभंगा, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सौजन्य से संचालित ‘अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र’ के तत्वावधान में स्थानीय “ज्ञान सरिता पब्लिक स्कूल, कादिराबाद, दरभंगा” में 28 फरवरी से 8 मार्च, 2024 तक ऑफलाइन एवं ऑनलाइन मोड में 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर प्रारंभ किया गया है।
स्कूल के प्राचार्य अमरनाथ साह की अध्यक्षता में आयोजित शिविर का संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया, जबकि अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन संस्कृत शिक्षण केन्द्र के केन्द्राधिकारी का डा आर एन चौरसिया ने किया। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दरभंगा के सह जिला बौद्धिक प्रमुख ओम प्रकाश, अनौपचारिक संस्कृत- शिक्षक अमित कुमार झा तथा विद्यालय प्रबंधक हर्षित राज आदि ने संबोधित किया। वहीं कार्यक्रम में प्रशांत कुमार झा, राकेश कुमार, मीणा झा, जिग्नेश कुमार, माधुरी कुमारी, रूपा कुमारी, प्रत्यूष कुमार झा, हर्ष राज, सोनाक्षी कुमारी तथ तिलक राज आदि सहित 100 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने कहा कि इस आयोजित शिविर की उपयोगिता निकट भविष्य में परिलक्षित होगी, क्योंकि इससे सहभागी न केवल संस्कृत में बोलना सीखेंगे, बल्कि उन्हें संस्कृत भाषा- साहित्य का भी बेहतर ज्ञान हो सकेगा। बाल्यकाल किसी भी भाषा को सीखने की सबसे अच्छी अवस्था होती है। संस्कृत शिविर से बच्चे संस्कारवान तथा सुसंस्कृत भी बनेंगे। उन्होंने कहा कि आज इसरो एवं नासा आदि के वैज्ञानिक भी संस्कृत का अध्ययन कर रहे हैं, क्योंकि संस्कृत वैज्ञानिक एवं मौलिक ज्ञान- विज्ञान की भाषा है।
अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य अमरनाथ साह ने कहा कि संस्कृत भाषा हमें संस्कार एवं संस्कृति सिखाती है। इसका साहित्य अति विशाल, सर्वव्यापक एवं अनुपम निधि है। उन्होंने कहा कि शिविर से विद्यालय में बने बेहतर माहौल, प्रतिभागियों की लगन एवं परिश्रम से मात्र 10 दिनों में ही संस्कृत में सरल वार्तालाप अवश्य ही सीख जाएंगे।
विशिष्ट अतिथि ओम प्रकाश ने कहा कि संस्कृत सीखने में प्रारंभ में ही थोड़ी कठिनाई अवश्य होती है, पर बाद में बहुत ही आसान लगता है। कम मेहनत में भी संस्कृत में अधिक अंक प्राप्त किया जा सकता है। संस्कृत बोलने- सुनने तथा श्लोक वचन से अच्छा व्यायाम होता है और हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन कराते हुए शिविर के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि संस्कृत में रचित एक लाख से अधिक पुस्तकों में मानव की सभी महत्वपूर्ण जीवनोपयोगी बातें वर्णित हैं। संस्कृत ग्रंथों में हमारे पूर्वजों की पीढ़ियों का अनुभव, ज्ञान- विज्ञान एवं जरूरी सीखें निहित हैं। आज भारत सहित पश्चिमी देशों- जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस, अमेरिका और रूस आदि में भी संस्कृत तेजी से आगे बढ़ रहा है, जहां संस्कृत एवं अंग्रेजी भाषा के जानकारों की काफी मांग है। उन्होंने कहा कि 10 दिनों तक इस विद्यालय का माहौल संस्कृतमय रहेगा। वहीं शिविर में शामिल 100 से अधिक छात्र- छात्राओं एवं सहभागियों को समापन के दिन सहभागिता प्रमाण पत्र तथा मेडल प्रदान किए जाएंगे।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए शिविर के प्रशिक्षक अमित कुमार झा ने कहा कि यहां के छात्रों में संस्कृत के प्रति काफी रुचि दीख रही है। यही कारण है कि यहां 10 दिवसीय शिविर का आयोजन किया जा रहा है जो काफी सफल भी होगा। संस्कृत में बातचीत करने से समाज में एक नई चेतना जागृत होगी। उन्होंने बताया कि वर्ग में चित्रों, वार्तालापों, प्रश्नोत्तरों, संकेतों आदि के माध्यम से प्रत्यक्ष पद्धति द्वारा संस्कृत में बातचीत सिखाई जा रही है।
आगत अतिथियों का स्वागत पाग- चादर एवं फूलमाला से किया गया। वहीं उद्घाटन समारोह का संचालन विद्यालय के प्रबंधक हर्षित राज ने करते हुए कहा कि कल से शिविर का संचालन सुबह 8:40 से होगा, जबकि संध्या 7 से 8 बजे के बीच ऑनलाइन माध्यम से शिविर संचालित होंगे।