•15 जुलाई तक पूर्व में प्रभावित इलाकों खत्म करना अभियान
•हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध
•कालाजार उन्मूलन के लिए भारत सरकार का मानक प्राप्त
•सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता

मधुबनी , 9 जुलाई जिले में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अभियान लिए सिंथेटिक पायरोथायराइड (एसपी) कीटनाशक छिड़काव सुरु किया जायगा. विभागीय स्तर पर इसका माइक्रो प्लान तैयार किया जा रहा है और अगले सप्ताह में छिड़काव शुरू कर दिया जाएगा अभियान अगले 15 जुलाई तक चलेगा. राज्य द्वारा दिए गए निर्देश के अनुपालन में मधुबनी जिला में कुल 17 राजस्व ग्रामों में कालाजार नियंत्रणार्थ एस. पी. छिड़काव किया जाएगा जिसमें बेनीपट्टी प्रखंड के बिरौली, साहपुर, तीसीयाही, विस्फी प्रखंड के बरदाहा,औसी बभंगामा, गौमुल बसवारा (चौहाटा) खजौली प्रखंड के डुमरियाही, चंडरडीह लौकही प्रखंड के डकही, रूही, नारहिया मधवापुर प्रखंड के पकड़ी,रइमा, बलवा, मधेपुर प्रखंड के तंगराहा,रहिका प्रखंड के डुमरी, सहुआ में सुरु किया जाएग. साथ ही अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा लोगों को मच्छरदानी लगाकर सोने, घरों के आसपास साफ-सफाई रखने और नालियों को साफ रखने आदि के लिए जागरूक भी किया जायेगा। ताकि, लोगों को वेक्टर जनित रोग जैसे कालाजार, मलेरिया, डेंगू से बचाव के लिए प्रेरित किया जा सके। हालांकि, कालाजार रोग को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार काफी गम्भीर है। जिसको लेकर साल में दो बार कालाजार उन्मूलन के लिए दवाओं का छिड़काव होता है.

हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ विनोद कुमार झा ने बताया प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है। कालाजार की किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है। हर सेंटर पर कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हैं।

कालाजार के कारण :
कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है।

कालाजार उन्मूलन के लिए भारत सरकार का मानक प्राप्त :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह ने बताया जिले में लगातार छिड़काव के कारण कालाजार उन्मूलन के लिए भारत सरकार का जो मानक है उसे प्राप्त किया जा चुका है। मरीजों की संख्या शून्य करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिले में वर्ष 2009 में 730 मरीज, 2010 में 630, वर्ष 2011 में 538, वर्ष 2012 में 415, वर्ष 2013 में 321, वर्ष 2014 में 256, वर्ष 2015 में 187, मरीज 2016 में 108, मरीज, 2017 में 85 मरीज, 2018 में 50, 2019 में 31,और 2020 में 28 मरीज कालाजार के मिले हैं।वहीं वर्ष 2021 में दिसंबर तक 23 मरीज मिले हैं जिसमें वीएल के 19 वह पीकेडीएल के 4 मरीज मिले हैं।

सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज सिंह ने बताया कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।

कालाजार के लक्षण :
– लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना।
– वजन में लगातार कमी होना।
– दुर्बलता।
– मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।
– व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।
– प्लीहा में नुकसान होता है।

छिड़काव के दौरान इन बातों का रखें ख्याल :
– छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें
– घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर छः फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें
– छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें
– ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एस. पी.) का असर बना रहे
– अपने क्षेत्र में कीटनाशक छिड़काव की तिथि की जानकारी आशा दीदी से प्राप्त करें