-संक्रमण को रोकने के लिए अस्पताल में नियमित रूप से सफ़ाई अनिवार्य।

-रोगी एवं पर्यावरण के लिए जैव चिकित्सा अपशिष्ट का उचित प्रबंधन स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण।

-स्वास्थ्य कर्मियों को अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वहन करने से संबंधित दी गई जानकारियां।

#MNN@24X7 मधुबनी 27 मार्च, जैव चिकित्सा अपशिष्ट के उचित प्रबंधन को लेकर जिला स्तरीय दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन पारा मेडिकल संस्थान रामपट्टी के सभागार में शुरू किया गया। इसमें जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल प्रबंधक, बीएचएम, स्टाफ़ नर्स, एएनएम, प्रसव कक्ष की प्रभारी को प्रशिक्षित किया गया। सिविल सर्जन डॉ ऋषि कांत पांडे ने बताया जैव चिकित्सा अपशिष्ट से होने वाले संभावित खतरों एवं उसके उचित प्रबंधन जैसे- अपशिष्टों का सेग्रिगेशन (पृथक्करण), कलेक्शन भंडारण, परिवहन एवं बायो-मेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन जरूरी है, इसके सही तरीके से निपटान नही होने से पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। अगर इसका उचित प्रबंधन ना हो तो मनुष्य के साथ साथ पशु- पक्षीयों के को भी इससे खतरा है । इसलिए जैव चिकित्सा अपशिष्टों को उनके कलर-कोडिंग के अनुसार ही सेग्रिगेशन किया जाना चाहिए।

संक्रमण को रोकने के लिए अस्पताल में नियमित रूप से सफ़ाई अनिवार्य:

सर्जन ने कहा कि ज़िले के सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के तहत कार्य करने को लेकर विभागीय स्तर पर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। जिसके आलोक में सभी एमओआईसी, एचएम, बीएचएम, स्टाफ़ नर्स, एएनएम, एलटी एवं फार्मासिस्ट के द्वारा अस्पताल परिसर से सभी तरह की गंदगियों को दूर करने के लिए समय-समय पर सफ़ाई कराई जाती है। ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण फ़ैलने से रोका जा सके। क्योंकि जब तक अस्पताल परिसर को गंदगी मुक्त नहीं रखेंगे तब तक वहां रहने वाले मरीज़, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सहित कर्मी ख़ुद भी इसके शिकार हो सकते हैं।

रोगी एवं पर्यावरण के लिए जैव चिकित्सा अपशिष्ट का उचित प्रबंधन स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण: डीसीक्यूए।

जिला सलाहकार, गुणवत्ता यक़ीन पदाधिकारी डॉ. कमलेश कुमार शर्मा ने कहा कि बिहार सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग ने जैव चिकित्सा अपशिष्ट के पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है। वहीं जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली की स्थापना के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। रोगी एवं पर्यावरण के लिए जैव चिकित्सा अपशिष्ट का उचित प्रबंधन स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य और पर्यावरण से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए स्वास्थ्य संस्थानों में उचित प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे, उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि बायोमेडिकल वेस्ट का स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बेहतर तरीके से प्रबंधन करना चाहिए। प्रसव कक्ष, बेड एवं हाथों की सफ़ाई के अलावा ओटी या अन्य कार्यो के बाद अपशिष्ट को निस्तारण को लेकर जागरूक रहने की आवश्यकता होती है।

स्वास्थ्य कर्मियों को अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वहन करने से संबंधित दी गई जानकारियां।

जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज मिश्रा ने बताया बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बिहार में जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन को विनियमित करने की जिम्मेदारी है। क्योंकि बायोमेडिकल कचरे के उचित पृथक्करण, भंडारण, परिवहन और निस्तारण के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया गया है। बायोमेडिकल वेस्ट में मानव शारीरिक अपशिष्ट, नैदानिक अपशिष्ट, शार्प अपशिष्ट, रासायनिक अपशिष्ट और स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा उत्पन्न रेडियोधर्मी अपशिष्ट शामिल हैं। इस ट्रेनिंग में प्रसव कक्ष के अंदर एवं बाहरी परिसर की सफाई, संक्रमण एवं बचाव करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मियों के कर्तव्यों एवं दायित्वों के निर्वहन से संबंधित जानकारियां दी गई है। इसमें अस्पताल के अंदर के अलावा परिसर की सफाई पर नियमित तौर पर ध्यान देने की जरूरत बताई गयी। अस्पताल में साफ-सफाई होने से परामर्श या उपचार के लिए आने वाले मरीजों का स्वच्छ माहौल बनता है।