पर्यावरण-प्रदूषण मानव निर्मित गंभीर एवं वैश्विक समस्या, जिसे सामाजिक जागृति से दूर करना संभव- विधायक डा मुरारी मोहन।

पर्यावरण प्रबंधन : मुद्दे एवं चुनौतियां विषयक राष्ट्रीय वेबीनार में कई राज्यों के 60 से अधिक व्यक्तियों की हुई सहभागिता

कार्यक्रम में डा मुरारी मोहन, प्रो विश्वनाथ, डा घनश्याम, डा चौरसिया तथा सुधांशु शेखर आदि ने रखे महत्वपूर्ण विचार।

#MNN@24X7 पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर एवं वैश्विक समस्या है, जिससे हम प्रतिदिन जूझ रहे हैं। यह मानव निर्मित समस्या है, जिसके लिए हम सब दोषी हैं। जब तक पूरा समाज जागृत एवं संकल्पित होकर इस दिशा में सार्थक एवं सतत कार्य नहीं करेगा, तब तक पर्यावरण- प्रदूषण को नहीं रोका जा सकता है। उक्त बातें केवटी, दरभंगा के विधायक डा मुरारी मोहन झा ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग तथा माय होम इंडिया, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ की पूर्व संध्या पर “पर्यावरण- प्रबंधन : मुद्दे एवं चुनौतियां” विषयक राष्ट्रीय वेबीनार का उद्घाटन करते हुए कही।

विधायक डा झा ने लोगों को विश्व पर्यावरण दिवस की बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा कि इस तरह के लगातार आयोजनों से समाज जागरूक होता है। यदि प्रबुद्ध जन समर्पण की भावना से प्रयास करेंगे तो आने वाली पीढ़ी पर्यावरण- प्रबंधन को बेहतर ढंग से सीख सकती है। उन्होंने ओजोन परत की क्षरण, जलवायु- परिवर्तन तथा ग्रीन हाउस प्रभाव आदि पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा पर्यावरण- प्रबंधन को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि विशेष रूप से युवाओं को इस ओर जागृत किया जा सके। विधायक ने पर्यावरण- प्रदूषण की रोकथाम हेतु सिर्फ सरकारी प्रयास पर निर्भरता न रखते हुए सामूहिक रूप से प्रत्येक व्यक्ति द्वारा प्रयास करने का आह्वान किया।

मुख्य अतिथि के रूप में सी एम कॉलेज, दरभंगा के पूर्व प्रधानाचार्य एवं प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि लोग पेड़- पौधों को काटकर बिना नियम एवं प्रकृति की प्रवाह किए बड़े-बड़े भवन बन रहे हैं, जिस कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। आज लोग सार्वजनिक एवं सरकारी जगहों पर कचरों का ढेर लगा रहे हैं, जिनसे आमलोग अधिक बीमार हो रहे हैं। हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होते हुए उसके प्रबंधन को कार्य रूप देना होगा, तभी प्रकति की सुरक्षा एवं संवर्धन संभव है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रबंधन को बहुमुखी बनाते हुए रोजगार से भी जोड़ना होगा। इस काम को दशरथ मांझी की तरह पूरी निष्ठा के साथ अंजाम तक पहुंचाना होगा।

अध्यक्षीय संबोधन में पीजी संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1972 में घोषणा के बाद प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की समस्या काफी जटिल है और आज स्थिति विस्फोटक बनी हुई है, जिस कारण प्रकृति का रौद्र रूप समय- समय पर देखने को मिलता है। डा घनश्याम ने कहा कि व्यापक रणनीति के माध्यम से ही पर्यावरण- प्रबंधन संभव है।

अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश कराते हुए विश्वविद्यालय के संस्कृत- प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि पर्यावरण- प्रबंधन की आवश्यकता आज की प्राथमिक जरूरत है। यह कार्य एकाकी या एक संस्था का न होकर सामूहिक है। पर्यावरण- प्रबंधन का उद्देश्य प्रकृति की सुरक्षा है जो सतत विकास का समर्थन करता है। यह अल्पावधि से दीर्घावधि तक तथा स्थानीय से वैश्विक स्तर तक विस्तारित हो सकता है।

कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए माय होम इंडिया, दरभंगा के संयोजक सुधांशु शेखर ने कहा कि पर्यावरण- प्रबंधन में पर्यावरण की योजना, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, पर्यावरणीय स्थिति का मूल्यांकन तथा पर्यावरणीय कानून एवं प्रशासन के प्रयास आदि को शामिल किया जाता है।

इस अवसर पर उड़ीसा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटना में दिवंगत हुए आत्मा की परम शांति के लिए 2 मिनट का मौन धारण किया गया।

कार्यक्रम में दिल्ली से अनिकेत, पश्चिम बंगाल से सोनाली मंडल, अनिमेष मंडल, सदानंद विश्वास तधा संदीप घोष, बीएचयू से प्रेरणा नारायण, डा स्वेता शशि, डा अंजू कुमारी, डॉ शिशिर झा, संतोष कुमार शर्मा, अभ्युदय शर्मा, प्रशांत कुमार झा, साजन कुमार, शालिनी कुमारी, डा के के सिंह, मिलन कुमार पांडे, डा श्वेता झा, सज्जन कुमार पासवान, राजनाथ पंडित, इंद्रेश झा, मंजीत कुमार चौधरी, सारविन्द कुमार, आकर्ष कुमार झा, रतिकांत मिश्र, पूजा कुमारी, राहुल राज, राजेश मिश्र, सितारा भारती, कृष्ण नारायण झा, आनंद कुमार तथा प्रणव नारायण सहित 60 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।