#MNN@24X7 दरभंगा। राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, मोहनपुर दरभंगा के द्वारा मोहनपुर परिसर में “हर दिन,हर घर आयुर्वेद” कार्यक्रम के अंतर्गत’ बुजुर्गों के लिए आयुर्वेद ‘ विषय पर कार्यक्रम काआयोजन किया गया। प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया आयुष मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशन में आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत ” हर दिन,हर घर आयुर्वेद ” को पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है।

आयुर्वेद के प्रति जन जागरूकता फैलाने हेतु इस कार्यक्रम का आयोजन मोहनपुर परिसर में बुजुर्गों के बीच किया गया। आयुर्वेद एक संपूर्ण जीवन विज्ञान है। आयुर्वेद में गर्भाधान से लेकर मोक्ष प्रयत्न तक के सिद्धांतों का सविस्तार वर्णन किया गया है आयुर्वेद में गर्भावस्था,बाल्यावस्था, किशोरावस्था, युवावस्था प्रौढ़ावस्था के साथ-साथ वृद्धावस्था में अनुकरणीय स्वास्थ्य संरक्षण आयुर्वेदिक सिद्धांतों का वर्णन किया गया। उम्र एवं अवस्था के अनुसार आयुर्वेदिक आहार-विहार का समुचित पालन करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

वेदों में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ वानप्रस्थ एवं सन्यास आश्रम का वर्णन किया गया है। इसका समुचित पालन करने से मानव जीवन सुखमय एवं उद्देश्य पूर्ण होता है। वृद्धावस्था में त्रिर्दोषों में वात दोष की प्रधानता होती है। हमें अपने आहार – विहार में वात शामक आहार एवं औषध द्रव्यों का सेवन करना चाहिए।आयुर्वेद में तीन उपस्तंभों में आहार का सविस्तार वर्णन किया गया है। बुजुर्गों के बीच के आहार के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारा शरीर आहार से ही संभव है। इसी से इसका पोषण होता है। शरीर के संतुलित विकास हेतु हमें संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए।

आज भी दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में आम जनों को संतुलित आहार के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी नहीं है। आहार के बारे में बात करते हुए यह कहा कि हमें हमेशा ताजा एवं गर्म भोजन करना चाहिए। मानव जीवन की तीन एषणा होती है-प्राण, धन एवं परलोक एषणा। बुजुर्गों को उम्र के इस पड़ाव में परलोक एषणा को उत्तम बनाने हेतु – सदवृत्त का पालन करना चाहिए। हमें अपनी संसारिक इच्छाओं को धीरे- धीरे त्याग कर अध्यात्मिक मार्गं का अनुसरण करना चाहिए।

रसायन औषधियों के सेवन के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया की हमें अश्वगंधा, शतावरी, आमलकी रसायन, च्यवनप्राश आदि औषधियों का सेवन करना चाहिए। निद्रा नाश में शंखपुष्पी,जटामांसी, ब्राह्मी आदि में औषधीयों का सेवन करना चाहिए।

कार्यक्रम के आयोजक डॉ. दिनेश कुमार ने ‘आचार रसायन’ के बारे में बताते हुए कहा कि हमें- सत्यवादी, क्रोध रहित, अहिंसक, प्रिय भाषी, जप एवं पवित्रता में तत्पर, धीर,नित्य दान करने वाला, प्राणियों पर दया दृष्टि रखने वाला, निद्रा एवं जागरण को समावस्था में सेवन करने वाला, नित्य दुग्ध- धृत का सेवन करने वाला, देश-काल और परिस्थिति को जानने वाला, युक्ति को जानने वाला, अहंकार रहित, सदाचार युक्त, उदार, धर्म शास्त्रों का स्वाध्याय करते वाला होना चाहिए। हमें अपने जीवन में रजोगुण एवं तमोगुण को जीतने का प्रयास करना चाहिए । रजोगुण से हमारे जीवन में आसक्ति उत्पन्न होती है,जो कि सभी दुखों का मूल कारण है। जब तक आसक्ति रहती है, तब तक हम मुक्त और सुखी नहीं हो सकते। अतः हमें आध्यात्मिक मार्ग को अपनाकर, आयुर्वेदीय जीवन यापन करते हुए इच्छाओं को धीरे -धीरे दमन कर रजोगुण, तमोगुण पर विजय पा लेनी चाहिए।

इसी में मानव जीवन की सार्थकता है। स्वाध्याय के विषय में बतलाते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिदिन सोने के पूर्व हमें पूरे दिन के किए हुए कार्यों का चिंतन- मनन करना चाहिए। बुरे कार्य के लिए ईश्वर से माफी मांगना चाहिए और अच्छे कार्यों हेतु खुद को धन्यवाद देना चाहिए। कार्यक्रम का आयोजन मोहनपुर परिसर में हरीतकी वृक्ष के नीचे किया गया। हरीतकी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा की आयुर्वेद में इसे माता की संज्ञा दी गई है। ऋतु के अनुसार हरीतकी का अनूपान भेद से सेवन करने के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शरद ऋतु चल रही है। इस समय हमें शर्करा के साथ हरीतकी चूर्ण का सेवन करना चाहिए।

कार्यक्रम में गोसा घाट से आए हुए हनुमान शरण ने कहा कि हर दिन हर घर आयुर्वेद कार्यक्रम के माध्यम से आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को समझने का अवसर प्राप्त हुआ‌ हमें भोजन करने की विधि के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। विनोद कुमार दिनकर जी ने यह बताया ‘ बुजुर्गों के लिए आयुर्वेद ‘ कार्यक्रम के माध्यम से हमें जल पीने के तरीका एवं किशोर कुमार ने बताया कि हमें कैसे उठना चाहिए इसके बारे में जानकारी प्राप्त हुई।

मोहनपुर ग्राम के दिलीप पासवान जो कि विकलांग हैं, फिर भी इस कार्यक्रम में आए और उन्होंने इस कार्यक्रम के दिशा-निर्देशक प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद की प्रशंसा करते हुए कहा कि ” बुजुर्गों के लिए आयुर्वेद ” कार्यक्रम के माध्यम से हमें आयुर्वेद को करीब से समझने का अवसर प्राप्त हुआ एवं स्वास्थ्य वर्धक जानकारी प्राप्त हुई है। इसके पालन से हमारा यह वर्तमान जीवन आरोग्मय होगा। निश्चित रूप से इस ढंग के कार्यक्रम का आयोजन करने से एक बार फिर से हर उम्र, जीवन की हर अवस्था , हर घर, हर आंगन,हर गांव, एवं हर प्रदेश से दूर हुआ आयुर्वेद एक बार फिर से उन सबके बीच स्थापित होगा।इस अवसर पर पूनम कुमारी, अर्चना कुमारी, मीना कुमारी, रोशन कुमार, बृजेश राम, मोनू, अजय कुमार आदि उपस्थित थे।