दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की स्थापना के स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में अपराह्न काल में संगीत संध्या का आयोजन विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग के द्वारा किया गया, जिसमें कुलपति प्रोफ़ेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह, प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा व कुलसचिव प्रो मुश्ताक अहमद की गरिमामय उपस्थिति रही।

कार्यक्रम में वित्त पदाधिकारी कैलाश राम, कुलानुशासन प्रो अजय नाथ झा, उप कुलसचिव प्रथम डॉ कामेश्वर पासवान, पेंशन पदाधिकारी सुरेश पासवान, एनएसएस कोऑर्डिनेटर द्वय डा विनोद बैठा व डा आनंद प्रकाश गुप्ता, डब्ल्यू आई टी के निदेशक प्रोफेसर विमल इंदु शेखर झा, आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर डा जिया हैदर, उप खेल पदाधिकारी अमृत कुमार झा, डा अवनि रंजन सिंह, डा दिवाकर सिंह, प्रेस मीडिया पदाधिकारी डा आर एन चौरसिया वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रोफेसर बीबीएल दास, सामाजिक विज्ञान के संकायध्यक्ष प्रो जितेंद्र नारायण, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, पूर्व प्राध्यापक एवं छात्र- छात्राओं सहित डेढ़ सौ से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया। प्रो लावण्य कीर्ति सिंह काव्या के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में स्वागत संबोधन दूरस्थ शिक्षा केन्द्र के निदेशक प्रो अशोक मेहता ने किया।

कुलपति प्रोफ़ेसर एस पी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन विश्वविद्यालय के लिए उत्साह व उमंग का है, जिसे संगीत एवं नाट्य विभाग के छात्र-छात्राओं ने बखूबी अभिव्यक्त किया है। विश्वविद्यालय सभी तरह के विचारों की सुरक्षा, नवसृजन एवं अपने छात्र- छात्राओं के द्वारा ही जाना जाता है। इस विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों में उत्साह की कोई कमी नहीं है। 50 वर्ष की अवधि में विश्वविद्यालय अनवरत युवाओं एवं उनके विचारों के साथ आगे बढ़ा है और यह प्रयास अनवरत जारी रहेगा। वैसे 50 वर्ष किसी भी संस्था के लिए बहुत अधिक नहीं होता है। फिर भी आज स्वर्ण जयंती के अवसर पर हम अपना मूल्यांकन कर रहे हैं और नए उत्साह व विचारों से विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए कृत संकल्पित हो रहे हैं।

कुलपति ने कहा कि जिसमें बदलाव नहीं होता है, वह विकास नहीं करता है। जिसमें परिवर्तन की क्षमता होती है, वही आगे बढ़ता जाता है। विश्वविद्यालय की आगे की विकास यात्रा जारी रहेगी। मुझे और आप सब के लिए यह शुभ अवसर है कि हम सब विश्वविद्यालय की 50 वर्ष के विकास यात्रा का साक्षी बन रहे हैं। कुलपति ने उपस्थित सभी कलाकारों एवं श्रोताओं को धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर भारतनाट्यम के माध्यम से हर्ष प्रिया ने गणेश पुष्पांजलि, जय प्रकाश पाठक के नेतृत्व में ओडेसी नृत्य के माध्यम से श्रेया झा,स्पृहा झा, निशा सिंह, पलक राज व श्रुति सिंह ने शिव स्तुति प्रस्तुत किया। डा सोनी कुमारी ने सोहर के तहत धन्य धन्य राज अयोध्या…, रूपेश गुप्ता के नेतृत्व में श्रेया भारद्वाज, नीतू चौधरी व संजीता प्रजापति ने कथक नृत्य के माध्यम से रुद्राष्टकम और कृष्ण वंदना प्रस्तुत किया, जबकि डा ममता ठाकुर ने सुगम गीत के अंतर्गत गोपाल सिंह नेपाली की जलने का नाम है जिंदगी…, व चौमासा, डा पुष्कर कुमार झा ने विद्यापति के उगना रे.. तथा गजल जिन्हें देखने को जिए जा रहे हैं.. प्रस्तुत किया।

वहीं लोक नृत्य के अंतर्गत शुभ सिंह, अंशु कुमारी, सिमरन कुमारी, नेहा, खुशी व संस्कृति ने मनमोहक कजरी नृत्य प्रस्तुत किया, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो लावण्य कीर्ति सिंह काव्या ने बताया कि इस संगीत संध्या में विभाग के वर्तमान कलाकार छात्र-छात्राएं एवं पूर्ववर्ती कलाकार छात्र-छात्राओं ने अपनी मोहक प्रस्तुति प्रदान की।