दरभंगा पुलिस ने किया खुलासा, मेहरे के पिता ने कहा NIA ने जब जाने को कहा, तब मेरा बेटा थाना से निकला

#MNN@24X7 दरभंगा, 27 अक्टूबर 2013 को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री ) की ‘हुंकार रैली’ की जनसभा सहित पटना जंक्शन पर बम धमाके हुए थे। उस सिलसिलेवार बम धमाकों में 6 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 87 लोग जख्मी हुए थे। बम ब्लास्ट के बाद इस घटना की जांच की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को दी गई थी। उसी मामले में NIA की टीम ने दरभंगा पुलिस की मदद से अशोक पेपर मिल थाना क्षेत्र के सिधौली गांव से मेहरे आलम को गिरफ्तार किया था।

वही मेहरे आलम की निशानदेही पर NIA की टीम ने 29 अक्टूबर 2013 को मुजफ्फरपुर के मीरपुर में छापेमारी करने गई थी। उसी दौरान वह एनआईए को चकमा देकर फरार हो गया था। जिसके बाद टीम ने मेहरे आलम के खिलाफ के मुजफ्फरपुर के नगर थाना में 30 अक्टूबर 2013 को कांड संख्या 612/13 दर्ज किया गया था, तब से वह फरार चल रहा था। जिसे शनिवार की शाम एसटीएफ पटना की टीम ने दरभंगा जिला के अशोक पेपर मिल थाना क्षेत्र के सिधौली गांव से गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई।

वही इस संदर्भ में एसडीपीओ बिरजू पासवान ने बताया कि वर्ष 2013 में पटना में हुए बम ब्लास्ट कांड में एक मामला दर्ज किया गया था। उसी कांड में पूछताछ के लिए अशोक पेपर मिल थाना क्षेत्र के सिधौली गांव के आरोपी मेहरे आलम के पिता महबूब आलम को पूछताछ के लिए बुलाया गया था और मुजफ्फरपुर जिला के थाना में पूछताछ की जा रही थी। उसी क्रम में मेहरे आलम पुलिस कस्टडी से भाग गया। जिस संदर्भ में मुजफ्फरपुर के नगर थाने में 612/13 कांड संख्या दर्ज किया गया था। उसी मामले में कल शनिवार की शाम पटना एसटीएफ की टीम दरभंगा पुलिस बल की सहायता से मेहरे आलम को गिरफ्तार करते हुए अपने साथ ले गई है।

वही मेहरे आलम के पिता महमूद आलम ने कहा कि उनके पुत्र की गिरफ्तारी कल देर शाम हुई है। गिरफ्तार करने आई टीम में अशोक पेपर मिल थाने की पुलिस और मुजफ्फरपुर की टीम शामिल थी। कुल मिलाकर 10 लोगो की टीम थी, जिस वक्त मेहरे आलम को गिरफ्तार किया गया। वहीं उन्होंने बताया कि 8 साल पूर्व एनआईए की टीम ने मेहरे आलम को गिरफ्तार कर लिया था जिसको लेकर हमने दरभंगा मुजफ्फरपुर सहित पटना का भागदौड़ किया उसी दौरान एनआईए की टीम ने मेहरे आलम से कहा कि तुम चले जाओ। जिसके बाद उन लोगों ने मेहरे आलम पर भागने का केस कर दिया। आज तक इस संबंध में हम लोगों को किसी प्रकार का कोई नोटिस मिला। शनिवार की शाम में अचानक पुलिस वाले आए और मेहरे आलम को अपने साथ लेकर चले गए।

बताते चले कि 27 अक्टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और बीजेपी के प्रधानमत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की ‘हुंकार रैली’ था। इसी बीच सुबह करीब 9:30 बजे पटना जंक्शन के प्लेटफॉक्म नंबर 10 पर पहला विस्फोट हुआ। थोड़ी देर बाद गांधी मैदान में कई धमाके हुए। उस सिलसिलेवार बम धमाकों में 6 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 87 लोग जख्मी हुए थे। इस मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा गया।

लंबी जांच प्रक्रिया के बाद एनआईए ने 21 अगस्त 2014 को 11 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। एनआई कोर्ट ने 9 आरोपियों को दोषी कराया दिया था. 9 में से 4 आतंकियों हैदर अली, नोमान अंसारी, मो. मुजीबउल्लाह अंसारी और इम्तियाज आलम को फांसी की सजा सुनाई गई. दो दोषियों को उम्र कैद मिली, जबकि 2 दोषियों को 10-10 साल की सजा और एक दोषी को सात साल की सजा सुनाई गई है।

सूत्रों की मानें तो मेहरे आलम गांधी मैदान और पटना जंक्शन पर हुए बम ब्लास्ट के आरोपी मोनू का करीबी है। मोनू समस्तीपुर जिले का रहने वाला था और दरभंगा में रहकर पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करता था। उसी क्रम में उर्दू स्थित एक पुस्तकालय में मेहरे आलम की मोनू से मुलाकात हुई थीं। जिसके बाद दोनों के बीच नजदीकी बढ़ती गई।