चतुर्थ राष्ट्रीय सम्मेलन 4-5 मार्च 2023 मिथिला इतिहास संस्थान। मुख्यालय: इतिहास विभाग, ल० ना० मिथिला विश्वविद्यालय, कामेश्वरनगर, दरभंगा।

#MNN@24X7 दरभंगा। आज 29 नवम्बर 2022 को आगामी 4-5 मार्च 2023 को नागेन्द्र झा महिला महाविद्यालय में आहूत मिथिला इतिहास संस्थान के चतुर्थ राष्ट्रीय सम्मेलन का पहला परिपत्र संस्थान के मुख्यालय इतिहास विभाग, ल. ना. मिथिला विश्वविद्यालय में जारी किया गया। परिपत्र के अनुसार संस्थान के राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के अनेक दिग्गज इतिहासकारों के साथ-साथ भारी संख्या में पेशेवर इतिहासकारों ,सामाजिक विज्ञानी, युवा गवेषकों और सामाजिक विज्ञान के जिज्ञासु छात्रों का विशाल समागम होगा।

सम्मेलन में भाग लेने वाले ख्यातिप्राप्त इतिहासकारों में खुदाबक्श लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक प्रो. इम्तियाज अहमद ल.ना. मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. रत्नेश्वर मिश्र, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. बिन्दा डी. परांजपे, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के ही इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. केशव मिश्र, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. जे. एन. सिन्हा, दिल्ली विश्वविद्यालय के ही प्राचार्य प्रो. अजित कुमार, नार्थ ईस्ट ‘विश्वविद्यालय, गौहाटी के पूर्व प्राचार्य प्रो. अमरेन्द्र कुमार ठाकुर, रांची विश्वविद्यालय के पूर्व इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. इन्द्रकुमार चौधरी, पं. कमलापति त्रिपाठी गवर्नमेन्ट पी. जी. कॉलेज प्रदेश के प्राचार्य प्रो. पंकज कुमार झा आदि के नाम विशेषरूप से उल्लेखनीय हैं।

सम्मेलन में शोध-पत्र प्रस्तुतिकरण के अतिरिक्त ‘मिथिला में ज्ञान पद्धति की परम्पराएँ’ विषय पर परिसंवाद के अलावे डा. राधाकृष्ण चौधरी स्मृति व्याख्यान के अन्तर्गत ‘आधुनिक मिथिला में सामाजिक परिवर्तन’ विषय पर प्रो. केशव मिश्र के व्याख्यान का आयोजन होगा।

संस्थान के सचिव प्रो. धर्मेन्द्र कुमर ने देश के इतिहासकारों, गवेषको इतिहास में रुचि रखनेवाले जिज्ञासुओं और स्नातकोत्तर कला इतिहास के छात्रों का सम्मेलन में अधिकाधिक संख्या में भागलेने का आह्वान किया है।

मौके पर संस्थान के कोषाध्यक्ष प्रो. माधब चौधरी, पूर्व इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. प्रभास चंद्र मिश्र, इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. मो. नैय्यर आज़म, वरिष्ठ इतिहासकार डा. अवनीन्द्र कुमार झा, कार्यालय प्रभारी डा. जमील हसन अंसारी, मीडिया प्रभारी डा. लाल कुमार आदि विशेष रूप से मौजूद थे।